SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 479
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ आगम (०५) [भाग-१०] "भगवती"-अंगसूत्र-५ (मूलं+वृत्ति:) शतक [२०], वर्ग [-], अंतर्-शतक [-], उद्देशक [५], मूलं [६६९] पूज्य आगमोद्धारकरी संशोधित: मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित..आगमसूत्र- [०५, अंगसूत्र- [०५] "भगवती" मूलं एवं अभयदेवसूरि-रचिता वृत्ति: प्रत सूत्रांक [६६९] दीप अनुक्रम [७८७] व्याख्या- उसिणे सो निद्धे १५ सचे मउप सषे लहुए सधे उसिणे सो लुक्खे १६ एए सोलस भंगा। जइ पंचफासे स ० शतके प्रज्ञप्तिः कक्खडे सबे गरुए सवे सीए देसे निद्धे देसे लुक्खे १ सवे कक्खडे सो गए सब सीए देसे निद्धे देसा उद्देशः ४ अभयदेवी लुक्खा २ सो कक्खडे सवे गरुए सघे सीए देसा निडा देसे लुक्खे ३ सचे कक्खड़े सवे गरुए सबे सीए बादरस्कया वृत्तिः२ देसा निद्धा देसा लुक्खा ४ सवे कक्खडे सवे गरुए सने उसिणे देसे निद्धे देसे लुक्खे ४ सधे फक्खडे सधे गन्धे वणादि ॥७८५॥ लहुए सचे सीए देसे निढे देसे लुक्खे ४ सबे कक्खडे सचे लहुए सखे उसिणे देसे निई देसे लुक्खे ।४।परिणाम: द एवं एए कक्खडेणं सोलस भंगा । सवे मउए सबे गरुए सबे सीए देसे निद्धे देसे लुक्खे ४ एवं मउएणवि |सू ६५९ सोलस भंगा एवं बत्तीसं भंगा । सो कक्खडे सच्चे गरुए सबे निद्धे देसे सीए देसे उसिणे ४ सवे कक्खडे सो गरुए सचे लुक्खे देसे सीए देसे उसिणे ४ एए बत्तीसं भंगा, सवे कक्खडे सवे सीए सधे निद्धे देसे गहए देसे लहुए एत्थवि बत्तीसं भंगा ४, सचे गरुए सचे सीए सये निद्धे देसे कक्खडे देसे मजए एत्थवि बत्तीस भंगा, एवं सचे ते पंचफासे अट्ठावीसं भंगसयं भवति । जइ छफासे सबे कक्खडे सवे गरुए देसे सीए देसे ४ उसिणे देसे निद्धे देसे लुक्खे १ सवे कक्खडे सचे गरुए देसे सीए देसे उसिणे देसे निद्धे देसा लुक्खा २ एवं जाव सच्चे कक्खडे सवे गरुए देसा सीया देसा उसिणा देसा निद्धा देसा लुक्खा १६ एए सोलस भंगा। seum सवे कक्खडे सबे लहुए देसे सीए देसे उसिणे देसे निद्धे देसे लुक्खे एत्थवि सोलस भंगा, सबे मउए सधे । लहुए देसे सीए देसे उसिणे देसे निद्धे देसे लुक्खे एत्थवि सोलस भंगा, एए चउसद्धिं भंगा, सवे कक्खडे | ...अत्र मूल-सपादने सूत्रक्रमाकन-सुचने एक स्खलना दृश्यते-उद्देश: ५ स्थाने उद्देश: ४ मुद्रितं ~479~
SR No.035010
Book TitleSavruttik Aagam Sootraani 1 Part 10 Bhagavati Mool evam Vrutti Part 3
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAnandsagarsuri, Dipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherVardhaman Jain Agam Mandir Samstha Palitana
Publication Year2017
Total Pages514
LanguagePrakrit, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size111 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy