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आगम (०५)
[भाग-१०] "भगवती"-अंगसूत्र-५ (मूलं+वृत्ति:)
शतक [२०], वर्ग [-], अंतर-शतक [-], उद्देशक [४], मूलं [६६७] पूज्य आगमोद्धारकरी संशोधित: मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित..आगमसूत्र- [०५] अंगसूत्र- [०५] "भगवती" मूलं एवं अभयदेवसूरि-रचिता वृत्ति:
'कह'त्यादि, 'एवं बितिओ इंदियउद्देसओ'इत्यादि यथा प्रज्ञापनायां पञ्चदशस्येन्द्रियपदस्य द्वितीय उद्देशकस्तथाऽयं वाच्यः, स चैवं-सोइंदिओवचए चक्खिदिओवचए पाणिदिओवचए रसणिदिओवचए फासिंदिओवचए' इत्यादि ॥ विंशतितमशते चतुर्थः ॥ २०-४॥
प्रत
सूत्रांक
[६६७]
चतुर्थे इन्द्रियोपचय उक्तः, स च परमाणुभिरितिपञ्चमे परमाणुस्वरूपमुच्यते इत्येवंसम्बद्धस्यास्येदमादिसूत्रम्- # | परमाणुपोग्गले णं भंते ! कतिचन्ने कतिगंधे कतिरसे कतिफासे पन्नते ?, गोयमा ! एगवन्ने एगगंधे एग-18| दरसे दुफासे पन्नत्ते, तंजहा-जइ एगवन्ने सिय कालए सिय नीलए सिय लोहिए सिय हालिद्दे सिय सुकिल्ले,
जइ एगगंधे सिय सुन्भिगंधे सिय दुग्भिगंधे, जइ एगरसे सिय तित्ते सिय कडुए सिय कसाए सिय अंबिले
सिय महुरे, जइ दुफासे सिय सीए य निद्धे य१सिय सीए य लुक्खे य २ सिय उसिणे य निद्धे य ३ सिय हाउसिणे य लुक्खे य ४॥ दुप्पएसिए णं भंते ! खंधे कतिवन्ने ? एवं जहा अट्ठारसमसए छटुवेसए जाव ||
सिय चउफासे पन्नत्ते, जह एगवझे सिय कालए जाव सिय सुकिल्लए जइ दुवन्ने सिय कालए नीलए य | ४. सिय कालए य लोहिए य २ सिय कालए य हालिद्दए य ३ सिय कालपय सुकिल्लए य ४ सिय नीलए लोहिए| लिसिय नी० हालिद्द०६ सिय नीलए य सुकिल्लए य ७सिय लोहिए य हालिद्दए य ८ सिय लोहिए य सुक्कि
लिए घ ९सिय हालिद्दए य सुकिल्लए य१० एवं एए दुयासंजोगे दस भंगा । जइ एगगंधे सिय सुभिगंधे १
SBAARAKASEASE
दीप अनुक्रम [७८५]
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अत्र विंशतितमे शतके चतुर्थ-उद्देशक: परिसमाप्त: अथ विंशतितमे शतके पंचम-उद्देशकः आरभ्यते
परमाणु-पुद्गलस्य वक्तव्यता
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