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________________ आगम (०५) [भाग-१०] "भगवती"-अंगसूत्र-५ (मूलं+वृत्ति:) शतक [१९], वर्ग [-], अंतर-शतक [-], उद्देशक [३], मूलं [६५०] पूज्य आगमोद्धारकरी संशोधित: मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित..आगमसूत्र- [०५] अंगसूत्र- [०५] "भगवती" मूलं एवं अभयदेवसूरि-रचिता वृत्ति: प्रत सूत्रांक [६५०] दीप अनुक्रम [७६१] ख्या-1|| लोकान्तनिष्कुटान्याश्रित्य त्रिदिगादेरप्याहारस्य तेषां सम्भवाद् वादरनिगोदान वाऽऽश्रित्येदमवसेय, तेषां पृथिव्यायाश्रि-|| १९ शतके प्रज्ञप्तिः || तत्वेन षदिकाहारस्यैव सम्भवादिति ।। अथैषामेव पृथिव्यादीनामवगाहनाऽल्पत्वादिनिरूपणायाह | उद्देशः३ अभयदेवी- एएसि णं भंते ! पुढविकाइयाण आउतेउवाउवणस्सइकाइयाणं सुहुमाणं चादराणं पज्जत्तगाणं अपनत्त गाणं या वृत्तिः पृथ्व्याद्ययजाव जहन्नुकोसियाए ओगाहणाए कपरे २ जाव विसेसाहिया वा ?, गोषमा! सबथोवा सुष्टमनिओयस्सीगाहनाल्प॥७६४॥ अपजत्तस्स जहनिया ओगाहणा १ सुहुमवाउकाइयस्स अपजत्तगस्स जहनिया ओगाहणा असंखेनगुणा २ बहुत्वं सुहमतेकअपजत्तस्स जह ओगाहणा असंखेजगुणा ३ सुहमआऊअपज्जजह असं०४ सुहुमपुढविअपज्जत्तक दिसू ६५१ जहनिया ओगाहणा असंखेजगुणा ५ बादरवाउकाइयस्स अपज्जत्तगस्स जहनिया ओगाहणा असंखेनगुणा ६ वादरतेकअपज्जत्तजहनिया ओगाहणा असंखेजगुणा ७ बादरआउअपज्जत्तजहनिया ओगा. असंखे०८ बादरपुढवीकाइयअपज्जत्त जहन्निया ओगाहणा असंखेजगुणा ९ पत्तेयसरीरबादरवणस्सइकाइयस्स बादरनिओयस्स एएसिणं पज्जत्तगाणं एएसिणं अपजत्तगाणं जहनिया ओगाहणा दोण्हवि तुल्ला असंखे०१०-११ सुहुम| निगोयस्स पजत्तगस्स जहनिया ओगाहणा असं०१२ तस्सेव अपजत्तगस्स उक्कोसि० ओगा विसेसा १३ तस्स चेव अपज्जत्तगस्स उक्को० ओगा०बिसेसा०१४ सुहमवाउकाइयस्स पज्जत्तगजह ओगा. असं०१५४ || तस्स चेव अपजत्रागरस उक्कोसिया ओगाहणा विसे०१६ तस्स चेच पज्जत्तगस्स एकोसा बिसे०१७ एवं || मुहमतेजकाइयस्सवि १८।१९।२० एवं सहुमआउक्काइयस्सवि २१।२२।२३ एवं सुहमपुदविकायस्स विसेसा || RDCRACT weredturary.com ~437
SR No.035010
Book TitleSavruttik Aagam Sootraani 1 Part 10 Bhagavati Mool evam Vrutti Part 3
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAnandsagarsuri, Dipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherVardhaman Jain Agam Mandir Samstha Palitana
Publication Year2017
Total Pages514
LanguagePrakrit, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size111 MB
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