SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 474
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ आगम [०५] [भाग-९] “भगवती"-अंगस शतक [११], वर्ग [-], अंतर्-शतक [-], उद्देशक [९], मूलं [४१७-४१८] + गाथा पूज्य आगमोद्धारकश्री संशोधित: मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित..आगमसूत्र- [०५, अंगसूत्र- [०५] "भगवती" मूलं एवं अभयदेवसूरि-रचिता वृत्ति: सूत्रांक [४१७-४१८] व्याख्या-15 हत्थगए जेणेव गंगा महानदी तेणेव पवागच्छद गंगामहानदी ओगाहेति २जलमजणं करोह २ जलकी-||| ११ शतके दि कर २ जलाभिसेषं करेति २ आयंते चोक्खे परमसुइभूए देवयपितिकयकजे दग्भसगन्भकलसाहत्थगए उद्देश: अभयदेवी- गंगाओ महानईओ पच्चुत्तरह २ जेणेव सए उहए तेणेव उवागच्छइ तेणेव उवागच्छित्ता दम्भेहि य कुसेहि शिवराजर्षे४ ब चालुयाएहि य वेति रएति चेति रएत्ता सरएणं अरणिं महेति सर०२ अगि पाडेति २ अग्गि संधुद स्तापसता ॥५१६॥ २ समिहाकट्ठाई पक्खिवह समिहाकट्ठाई पक्खिवित्ता अरिंग उज्जालेइ अरिंग उज्जालेत्ता-'अग्गिस्स दाहिणे | |पासे, सत्संगाई समादहे। सं०-सकई वक्कलं ठाणं, सिजा भई कमंडलु ॥१॥ दंडदार तहा पाणं अहे । ताई समादहे ॥ महुणा य घएण य तंदुलेहि य अग्गि हुणइ, अग्गि हुणित्ता च साहेइ, चर्क साहेत्ता बलि || | वइस्सदेवं करेइ बलिं वइस्सदेवं करेत्ता अतिहिपूर्य करेइ अतिहिपूर्व करेत्ता तओ पच्छा अप्पणा आहारमाहारेति, तए णं से सिषे रायरिसी दोचं छहक्खमणं उपसंपत्तिाणं विहरह, तए णं से सिवे रापरिसी दोचे हक्खमणपारणगंसि आयावणभूमीओ पचोरुहह आयावण २एवं जहा पढमपारणगं नवरं। दाहिणणं दिसं पोक्खेति २ दाहिणाए दिसाए जमे महाराया पत्धाणे पस्थियं सेसं तं चेव आहारमाहारोह, तए णं से सिवरायरिसी तचं छट्ठक्खमणं उवसंपजिसाणं विहरति, तए णं से सिवे रायरिसी सेसं तं चेव । नवरं पचच्छिमाए दिसाए वरुणे महाराया पत्थाणे पत्थियं सेसं तं चेव जाव आहारमाहारेह, तए णं से सिवे |||| दारापरिसी चउत्थं छट्ठक्खमणं उपसंपज्जित्ताणं विहरह, तए णं से सिवे रायरिसी चउत्थं छट्टक्खमणं एवं ANSKREY गाथा दीप अनुक्रम [५०६-५०८] For P OW शिवराजर्षि-कथा ~4744
SR No.035009
Book TitleSavruttik Aagam Sootraani 1 Part 09 Bhagavati Mool evam Vrutti Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAnandsagarsuri, Dipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherVardhaman Jain Agam Mandir Samstha Palitana
Publication Year2017
Total Pages552
LanguagePrakrit, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size120 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy