SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 448
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ आगम [०५] [भाग-९] “भगवती”- अंगसूत्र-५ [मूलं+वृत्ति:] शतक [१०], वर्ग [-], अंतर्-शतक [-], उद्देशक [५], मूलं [४०५-४०६] पूज्य आगमोद्धारकरी संशोधित: मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित..आगमसूत्र- [०५], अंगसूत्र- [०५] “भगवती मूलं एवं अभयदेवसूरि-रचिता वृत्ति: प्रत सूत्रांक [४०५४०६] % ॥५०॥ दीप अनुक्रम [४८८-४८९] व्याख्या- रायहाणीए सभासुहम्माए चमरंसि सीहासणंसि चसट्टीए सामाणियसाहस्सीहिं तायत्तीसाए जाव। प्रज्ञप्ति अन्नेहिं च बहहिं असुरकुमारेहिं देवेहि य देवीहि य सहि संपरिखुडे महयाहय जाव मुंजमाणे विहरित्तए उद्देशः५ अभयदेवी- केवलं परियारिडीए नो चेवणं मेहुणवत्तियं ॥(सूत्रं ४०५) चमरस्स णं भंते ! असुरिंदस्स असुरकुमाररनो | अग्रमहिया वृत्तिः सोमस्स महारन्नो कति अग्गमहिसीओ पन्नत्ताओ?, अज्जो ! चत्तारि अग्गमहिसीओ पन्नत्ताओ, तंजहा-व्यः सू४०५ ६ कणगा कणगलया चित्तगुत्ता वसुंधरा, तत्थ णं एगमेगाए देवीए एगमेगंसि देविसहस्सं परिवारो पन्नत्तो, है पभू णं ताओ एगमेगाए देवीए अन्नं एगमेगं देवीसहस्सं परियारं विउवित्तए, एवामेव सपुधावरणं चत्तारि देविसहस्सा, सेतं तुडिए, पभूणं भंते ! चमरस्स असुरिंदस्स असुरकुमाररन्नो सोमे महाराया सोमाए रायहाणीए सभाए सुहम्माए सोमंसि सीहासणंसि तुडिएणं अवसेसं जहा चमरस्स, नवरं परियारो जहा सूरिहै याभस्स, सेसं तं चेव, जाव णो चेव णं मेहुणवत्तियं । चमरस्सणं भंते ! जाव रन्नो जमस्स महारनो कति अग्गमहिसीओ, एवं चेव नवरं जमाए रायहाणीए सेसं जहा सोमस्स एवं वरुणस्सवि, नवरं वरुणाए रायहाणीए, एवं घेसमणस्सवि नवरं वेसमणाए रायहाणीए सेसं तं चेव जाव मेहुणवत्तियं । बलिस्स गंभंते ! वहरोयर्णिदस्स पुच्छा, अज्जो पंच २ अग्गमहिसीओ पन्नत्ताओ, तंजहा-सुभा निमुंभारंभा निरंभा मदणा,तस्थ एगमेगाए देवीए अट्ट सेसं जहा चमरस्स, नवरं बलिचंचाए रायहाणीए परियारो जहा मोउद्देसए, सेसं ॥५०॥ तं चेव, जाव मेहुणवत्तियं । वलिम्स णं भंते । वइरोयणिंदस्स बहरोयणरन्नो सोमस्स महारन्नो कति अग्गमहि-|| %E5%20%E784 SAMEmirathini अग्रमहिष्य: विषयक प्रश्नोत्तर: ~448~
SR No.035009
Book TitleSavruttik Aagam Sootraani 1 Part 09 Bhagavati Mool evam Vrutti Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAnandsagarsuri, Dipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherVardhaman Jain Agam Mandir Samstha Palitana
Publication Year2017
Total Pages552
LanguagePrakrit, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size120 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy