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________________ आगम [०५] [भाग-९] “भगवती”- अंगसूत्र-५ [मूलं+वृत्ति:] शतक [९], वर्ग [-], अंतर्-शतक [-], उद्देशक [३३], मूलं [३८६-३८७] पूज्य आगमोद्धारकश्री संशोधित: मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित..आगमसूत्र- [०५, अंगसूत्र- [०५] "भगवती" मूलं एवं अभयदेवसूरि-रचिता वृत्ति: प्रत सूत्रांक [३८६-३८७]] व्याख्या-समणाणगया जमालस्सणगार समणा णिग्गधा जमालिस्स अणगारस्स एयमटुं णो सदहति णो पत्तियंतिणो रोयंति ते णं जमालिस्स अण- शतके प्रज्ञप्तिः | गारस्स अंतियाओ कोट्ठयाओ चेयाओ पडिनिक्खमंति २ पुषाणुपुर्षि चरमाणे गामाणुगामं दूह. जेणेव उद्देशः ३३ अभयदेवी- चंपानयरी जेणेव पुन्नभद्दे चेहए जेणेव समणं भगवं महावीरे तेणेव उवागच्छइ २त्ता समणं भगवं महावीरं जमालेनिया वृत्तिः तिक्खुत्तो आयाहिणं पयाहिणं करेंति २त्ता बंदइ णमंसइ २ समर्ण भगवं महावीरं उवसंपज्जित्ता ण विह-|| रुत्तरता ॥४८५|| रति । (सूत्रं ३८६)तए णं से जमाली अणगारे अन्नया कयावि ताओ रोगायंकाओ विप्पमुके हढे तुढे जाए & अरोए पलियसरीरे सावत्थीओ नयरीओ कोट्टयाओ चेइयाओ पडिनिक्खमह२ पुवाणुपुर्षि चरमाणे गामाणु-12 गाम दूइज्जमाणे जेणेव चंपा नयरी जेणेव पुनभद्दे चेहए जेणेव समणे भगवं महावीरे तेणेव उवागन्छइ & || समणस्स भगवओ महावीरस्स अदूरसामंते ठिचा समणं भगवं महावीरं एवं बयासी-जहा गं देवाणु-I & प्पियाणं बहवे अंतेवासी समणा निग्गंधा छउमत्था भवेत्ता छउमस्थावकमणेणं अवकता णो खलु अहं|| तहा छउमस्थे भवित्ता छउमस्थावकमणेणं अवक्कमिए, अहन्नं उप्पन्नणाणदंसणधरे अरहा जिणे केवली |भवित्ता केवलिअवकमणेणं अवकमिए, तए थे भगवं गोयमे जमालिं अणगारं एवं वयासी-णो खलु जमा ली ! केवलिस्स णाणे वा दंसणे वा सेलसि वा थंभंसि वा थूभंसि वा आवरिजइ वा णिवारिजइ वा, जहर गाणं तुम जमाली! उप्पन्नणाणदसणधरे अरहा जिणे केवली भवित्ता केवलिअवकमणेणं अबकते तो इमाई दो वागरणाई वागरेहि-सासए लोए जमाली! असासए लोए जमाली, सासए जीवे जमाली! असासए 4 दीप %A अनुक्रम [४६६-४६७]] ॥४८५॥ जमाली-चरित्रं ~412~
SR No.035009
Book TitleSavruttik Aagam Sootraani 1 Part 09 Bhagavati Mool evam Vrutti Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAnandsagarsuri, Dipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherVardhaman Jain Agam Mandir Samstha Palitana
Publication Year2017
Total Pages552
LanguagePrakrit, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size120 MB
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