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________________ आगम (०५) [भाग- ८] "भगवती"-अंगसूत्र-५/१(मूलं+वृत्ति:) शतक [9], वर्ग [-], अंतर्-शतक [-], उद्देशक [२], मूलं [१४२-१४४] पूज्य आगमोद्धारकरी संशोधित: मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित..आगमसूत्र- [०५, अंगसूत्र- [०५] "भगवती मूलं एवं अभयदेवसूरि-रचिता वृत्ति: प्रत सूत्रांक [१४२ मज्ञप्तिः -१४४] गाथा: से सक्के देविंदे देवराया, अप्पहिए खलु भो ! से चमरे असुरिंदे असुरराया, तं इच्छामि गं देवाणुप्पिया : ३ शतके व्याख्या सकं देविंदं देवरायं सयमेव अचासादेत्तएत्तिकमु उसिणे उसिणभूए यावि होत्या, तए णं से चमरे असुरिंदे उद्देशः२ अभयदेवी- द असुरराया ओहिं पउंजइ २ मम ओहिणा आभोएइ २ इमेयारूवे अज्झथिए जाव समुप्पजिस्था-एवं खलु | चमरेत्पादे या वृत्तिः || || समणे भगवं महावीरे जंबूरीवे २ भारहे वासे सुसमारपुरे नगरे असोगवणसंडे उजाणे असोगवरपायवस्स | || वीरस्य शर & ण सू १४४ अहे पुढविसिलावट्टयंसि अट्ठमभत्तं पडिगिण्हित्ता एगराइयं महापडिम उवसंपज्जित्ताणं विहरति, तं सेयं ॥१७॥ खलु मे समणं भगवं महावीर नीसाए सकं देविंद देवरायं सयमेव अच्चासादेत्तएत्तिकट्ट एवं संपेहेइ २ सयणिजाओ अन्मुट्ठहरता देवदूसं परिहेह२ उववायसभाए पुरच्छिमिल्लेणं दारेणं णिग्गच्छद, जेणेव सभा सुहम्मा ||* जेणेव चोप्पाले पहरणकोसे तेणेव उवागच्छद रत्ता फलिहरयणं परामुसइ २ एगे अबीए फलिहरयणमायाए महया अमरिसं वहमाणे चमरचंचाए रायहाणीए मझमझेणं निग्गच्छद २ जेणेव तिगिच्छकृडे उप्पायप व्वए तेणामेव उवागच्छद २त्ता वेउब्वियसमुग्याएणं समोहणइ २त्ता संखेजाई जोषणाई जाच उत्तरवेउ-2 || वियरूवं विजब्बइ २त्ता ताए उफिट्टाए जाव जेणेव पढविसिलापहए जेणेव मम अंतिए तेणेव उवाग-|||| ॥१७॥ लिच्छति २ मम तिक्खुत्तो आयाहिणं पयाहिणं करेति जाव नमंसित्ता एवं वयासी-इच्छामि भंते! तुन्भ नीसाए सर्फ देविदं देवरायं सयमेव अचासादित्तएत्तिकट्ट उत्तरपुरच्छिमे दिसिभागे अबकमइ २ वेउब्वियसमुग्धाएर्ण समोहणइ २ जाच दोचंपि बेउब्वियसमुग्घाएणं समोहणइ २ एगं महं घोरं घोरागारं भीम दीप अनुक्रम [१७०-१७२] SARERatininematural पूरण-गाथापति एवं चमरोत्पात कथा ~357~
SR No.035008
Book TitleSavruttik Aagam Sootraani 1 Part 08 Bhagavati Mool evam Vrutti Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAnandsagarsuri, Dipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherVardhaman Jain Agam Mandir Samstha Palitana
Publication Year2017
Total Pages592
LanguagePrakrit, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size129 MB
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