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आगम
(०५)
प्रत सूत्रांक
[८०]
दीप
अनुक्रम [१०२]
[भाग- ८] “भगवती”- अंगसूत्र -५/१ (मूलं + वृत्ति:)
शतक [१], वर्ग [–], अंतर् शतक [-], उद्देशक [१०], मूलं [८०]
पूज्य आगमोद्धारकश्री संशोधितः मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित.. आगमसूत्र- [ ०५], अंगसूत्र- [०५] "भगवती मूलं एवं अभयदेवसूरि-रचिता वृत्तिः
व्या० 1८ Jain Educatin
एगयओ साहणंति, तिन्हं परमाणुपोग्गलाणं अस्थि सिणेहकाए, तम्हा तिष्णि परमाणुपोग्गला एगयओ सा०, ते भिमाणा दुहावि तिहावि कांति, दुहाकजमाणा एगयओ दिवडे परमाणुपोग्गले | भवति एगयओवि दिवढे पर० पो० भवति, तिहा कञ्चमाणा तिष्णि परमाणुपोग्गला भवंति एवं जाव चत्तारि पंचपरमाणुपो० एगयओ साहणंति, एगयओ साहणित्ता दुक्खत्ताए कांति, दुक्खेवि य णं. से सासए सया समियं उवचिव य अवचिज य पुवि भासा भासा भासिनमाणी भासा अभासा भासासमयवीतितं च णं भासिया भासा, जा सा पुवि भासा भासा भासिज्जमाणी भासा अभासा भासासमयवीतितं च णं भासिया भासा सा किं भासओ भासा अभासओ भासा ?, अभासओ गं सा भासा नो खलु सा भासभ भासा । पुवि किरिया दुक्खा कज्जमाणी किरिया अक्खा किरिया समयवीतितं च णं कडा किरिया दुक्खा, जा सा पुवि किरिया दुक्खा कजमाणी किरिया अदुक्खा किरियासमयवीइतं च णं कडा किरिया दुक्खा सा किं करणओ दुक्खा अकरणओ दुक्खा ?, अकरणओ णं सा | दुक्खा णो खलु सा करणओ दुक्खा, सेवं वतव्यं सिया-अकिचं दुक्खं अफुसं दुक्खं अफज्ज़माणकडं दुक्खं अकट्टु अकट्टु पाणभूयजीवसत्ता वेदणं वेदतीति वक्तव्यं सिया । से कहमेयं भंते । एवं?, गोयमा ! जपणं ते अण्णउत्थिया एवमातिक्वंति जाब वेदणं वेदेति वक्तव्वं सिया, जे ते एवमाहंसु मिच्छा ते एवमाहंसु, अहं पुण गोयमा ! एवमातिक्खामि, एवं खलु चलमाणे चलिए जाव निज्जरिज्जमाणे निज्जिपणे,
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