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________________ ५०० १३४ ३८८ १४४ १९९ ४१२ मूलाका: ८६८ + ११४ भगवती (अङ्ग)सत्रस्य विषयानुक्रम दीप-अनुक्रमा: १०८७ मूलांक: विषय: पृष्ठांक: | मूलांक: विषयः पृष्ठांक: मूलांक: विषयः पृष्ठांक: शतकं - १ ०११ ... ......शतकं -३ | ......शतकं -५ ००१ | उद्देशक: ०१ चलन ०२२ १७० | उद्देशक: ०२ चमरोल्पात ३४७ २६४ | उद्देशक: ०९ राजगृह ૦૨૬ | उद्देशक: ०२ दुःख ०८५ १७८ | उद्देशक: ०३ क्रिया ३७० २७१ | उद्देशक: १० चन्द्रमा ५०७ ०३४ | उद्देशक: ०३ कांक्षाप्रदोष १८४ | उद्देशक: ०४ यान . शतकं-६ ५०८ ०४६ | उद्देशक: ०४ कर्मप्रकृति १८९ | उद्देशक: ०५ स्त्री २७२ | उद्देशक: ०१ वेदना ५०८ ०५२ | उद्देशक: ०५ पृथ्वी १९१ | उद्देशक: ०६ नगर ३९१ २७७ | उद्देशक: ०२ आहार ५१३ ०६९ | उद्देशक: ०६ यावंत १९३ | उद्देशक: ०७ लोकपाल ३९३ २७८ | उद्देशक: ०३ महा-आश्रव ५१३ ०७९ | उद्देशक: ० नैरयिक २०१ | उद्देशक: ०८ देवाधिपति ४०९ २८६ | उद्देशक: ०४ सप्रदेशक છરોક ०८५ | उद्देशक: ०८ बाल २०५ | उद्देशक: ०९ इन्द्रिय ४११ २९१ | उद्देशक: ०५ तमस्काय ५४३ ०९४ | उद्देशक: ०९ गुरुत्व २०६ | उद्देशक: १० परिषद ३०० | उद्देशक: ०६ भव्य ५५३ १०२ | उद्देशक: १० चलत २१४ • शतकं-४ ४१४ ३०२ | उद्देशक: ०७ शाली ५५६ शतक - २ ૨૨૬ २०७ उद्देशका: १-४ लोकपाल-विमान ४१४ ३१३ | उद्देशक: ०८ पृथ्वी ५६४ १०५ | उद्देशक: ०१ स्कंदक २१० | उद्देशका: ५-८लोकपालराजधानी ४१५ ३१७ | उद्देशक: ०९ कर्म ५७३ ११८ | उद्देशक: ०२ समुदघात २६६ २११ | उद्देशक: ०९ नैरयिक ४१७ | उद्देशक: १०अन्ययथिक ១២២ ११९ | उद्देशक: ०३ पृथ्वी २६४ २१२ | उद्देशक: १० लेश्या ४१८ ... | शतकं-७.... १२२ उद्देशक: ०४ इन्द्रिय २६६ ... शतकं - ५..... ४२१ ३२७ | उद्देशक: ०१ आहार १२३ | उद्देशक: ०५ अन्यतीर्थिक २१५ | उद्देशक: ०१ रवि ४२१ ३३९ | उद्देशक: ०२ विरति १३८ | उद्देशक: ०६ भाषा २९२ २२० उद्देशक: ०२ वाय ४३१ ३४५ | उद्देशक: ०३ स्थावर १३९ | उद्देशक: ०७ देव | २९३ ।। २२३ | उद्देशक: ०३ जालग्रथिका ४३६ ३५१ | उद्देशक: ०४ जीव १४० | उद्देशक: ०८ चमरचंचा २९४ २२५ | उद्देशक: ०४ शब्द ४४० ३५३ | उद्देशक: ०५ पक्षी १४१ | उद्देशक: ०९ समयक्षेत्र । ३०१ २४१ | उद्देशक: ०५ छद्मस्थ ४५७ ३५५ | उद्देशक: ०६ आयु १४२ | उद्देशक: १० अस्तिकाय ३०३ २४४ | उद्देशक: ०६ आय ४५९ ३६१ | उद्देशक: ०७ अनगार | शतक - ३..... ३१४ २५३ | उद्देशक: ०७ पुदगल ४७२ ३६५ | उद्देशक: ०८ छद्मस्थ १५१ उद्देशक: ०१ चमरविकुर्वणा | ३१४ २६२ | उद्देशक: ०८ निर्ग्रन्थीपत्र ४८८ ३७१ | उद्देशक: ०९ असंवृत मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित......आगमसूत्र-[०५], अंग सूत्र-[०५] “भगवती" मूलं एवं अभयदेवसूरि-रचित वृत्ति: २२६ ~10~
SR No.035008
Book TitleSavruttik Aagam Sootraani 1 Part 08 Bhagavati Mool evam Vrutti Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAnandsagarsuri, Dipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherVardhaman Jain Agam Mandir Samstha Palitana
Publication Year2017
Total Pages592
LanguagePrakrit, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size129 MB
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