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[भाग-७] श्री समवायाङ्गसूत्रम्
नमो नमो निम्मलदंसणस्स
पूज्य श्रीआनंद-क्षमा-ललित-सुशील-सुधर्मसागर गुरुभ्यो नमः
“समवाय” मूलं एवं वृत्ति:
[मूलं एवं अभयदेवसूरि रचित वृत्तिः ]
[आद्य संपादक: - पूज्य आगमोद्धारक आचार्यदेव श्री आनंदसागर-सूरीश्वरजी म. सा. 1 (किञ्चित् वैशिष्ठ्यं समर्पितेन सह )
पुनः संकलनकर्ता मुनि दीपरत्नसागर
(M.Com., M.Ed., Ph. D. श्रुतमहर्षि)
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28/07/2017, शुक्रवार, २०७३ श्रावण शुक्ल ५
‘सवृत्तिक-आगम-सुत्ताणि श्रेणि भाग-६
श्री आगमोद्धारक-वाचना- शताब्दी वर्ष निमित्त 'आगम-वृत्ति - मुद्रण- प्रोजेक्ट'
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