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________________ आगम (०४) [भाग-७] “समवाय" - अंगसूत्र-४ (मूलं+वृत्ति:) समवाय [प्रकिर्णका:], ---------------- ---------- मूलं [१४१] पूज्य आगमोद्धारकरी संशोधित: मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित.आगमसूत्र- [०४] अंगसूत्र- [०४] “समवाय" मूलं एवं अभयदेवसूरि-रचिता वृत्ति: A १४१वा प्रत सूत्रांक वाधर्म KAROO श्रीसमवायांगे भीबमय चिः ॥११६॥ थाधिकारः [१४१] प्रत आसावसदोसमुच्छियाणं ४ विराहियचरिचनाणदसणजइगुणविविहप्पयारनिस्सारसुन्नयाणं ५ संसारअपारदुक्खदुग्गहमवविविहपरंपरापवंचा ६ धीराण य जियपरिसदकसायसेण्णधिइधणियसंजमउच्छाहनिच्छियाणं ७ आराहियनाणदसणचरित्तजोगनिस्सलसुद्धसिद्धालयमग्गमभिमुहाणं सुरभवणविमाणसुक्खाई अणोवमाई भुत्तूण चिरं च भोगभोगाणि ताणि दिवाणि महरिहाणि ततो य कालकमचुयाणं जह य पुणो लद्धसिद्धिमग्गाणं अंतकिरिया चलियाण य सदेवमाणुस्सधीरकरणकारणाणि बोधणगुसासणाणि गुणदोसदरिसणाणि दिद्रुते पचये य सोऊण लोगमुणिणो जट्ठियसासणम्मि जरमरणनासणकरे आराहिअसंजमा य सुरलोगपडिनियत्ता ओवेन्ति जह सासयं सिर्व सवदुक्खमोक्वं, एए अण्णे य एवमाइअत्था वित्थरेण य, णायाधम्मकहासु णं परिचा वायणा संखेजा अणुओगदारा जाव संखेजाओ संगहणीओ, से गं अंगट्टयाए छठे अंगे दो सुअक्संधा एगूणवीसं अज्झयणा, ते समासओ दुविहा पण्णत्ता, तंजहा-चरिता य कप्पिया य, दस धम्मकहाणं वग्गा, तत्य णे एगमेगाए धम्मकहाए पंच पंच अक्खाइयासयाई एगमेगाए अक्खाइयाए पंच पंच उवक्खाइयासयाई एगमेगाए उवक्खाइयाए पंच पंच अक्खाइयउवक्खाइयासपाई एवमेव सपुज्वावरेणं अद्भुट्ठाओ अक्खाइयाकोडीओ भवतीति मक्खायाओ, एगणतीस उद्देसणकाला एगूणतीसं समुदेसणकाला संखेजाई पयसहस्साई पयग्गेणं पण्णता संखेजा अक्खरा जाव चरणकरणपरूवणया आधविअंति, सेत्तं णायाधम्मकहाओ ६॥ सूत्र १४१॥ 'सेकिंत'मित्यादि, अथ कास्ता ज्ञाताधर्मकथा?-जातानि-उदाहरणानि तत्प्रधाना धर्मकथा ज्ञाताधर्मकथा दीर्घत्वं संज्ञात्वाद् अथवा प्रथमश्रुतस्कन्धो ज्ञाताभिधायकत्वात् ज्ञातानि द्वितीयस्तु तथैव धर्मकथाः, ततश्च ज्ञातानि च धर्म अनुक्रम [२२२] %A4%AC%ES ॥११६॥ SAMEnirahi | ज्ञाताधर्मकथा अंगसूत्रस्य शाश्त्रीयपरिचयः, ~2434
SR No.035007
Book TitleSavruttik Aagam Sootraani 1 Part 07 Samvay Mool evam Vrutti
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAnandsagarsuri, Dipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherVardhaman Jain Agam Mandir Samstha Palitana
Publication Year2017
Total Pages338
LanguagePrakrit, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_samvayang
File Size72 MB
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