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________________ आगम (०४) प्रत सूत्रांक [११४] प्रत अनुक्रम [१९३] [भाग-७] “समवाय” – अंगसूत्र- ४ (मूलं+वृत्ति:) समवाय [प्रकिर्णका:], मूलं [११४] पूज्य आगमोद्धारकश्री संशोधितः मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित आगमसूत्र- [०४] अंगसूत्र- [०४] "समवाय" मूलं एवं अभयदेवसूरि-रचिता वृत्तिः श्रीसमवा यांगे श्रीअभय० वृत्ति: ॥१०४॥ Education सवाई वेउब्वियाणं होत्या ।। ११०० सूत्रं ११४ ।। महापउममहापुंडरीमदहाणं दो दो जोयणसहस्साइं आयामेणं प० | २००० सूत्रं ११५ ।। इमीसे णं रवणप्पभाए घुढवीए वइरकंडस्स उवरिलाओ चरमेताओ लोहियक्खकंडस्स हेडिले चरमंते एस णं तिनि जोयणसहस्साई अचाहाए अंतरे प० । ३००० सूत्रं ११६ ॥ तिगिच्छिकेसरिदहाणं चत्तारि चचारि जोयणसहस्साइं जायामेणं प० ॥ ४००० सूत्रं ११७ ॥ धरणितले मंदरस्स णं पथ्वयस्स बहुमज्झदेसभाए रुयपगनाभीओ चउदिसिं पथ २ जोयणसहस्साई अथाहाए अंतरे मंदरपण्यए प० ॥ ५००० सूत्रं ११८ ॥ सहस्सारे णं कप्पे छ विमाणावाससहस्सा ५० ॥ ६००० सूत्रं ११९ ॥ इमीसे णं स्वणप्पभाए पुढवीए रयणस्स कंडस्स उवरिलाओ चरमंताओ पुलगस्स कंडस्स हेहिले चरमंते एस णं सत्त जोयणसहस्साई अवाहाए अंतरे प० ॥ ७००० सूत्रं १२० ॥ हरिवासरम्मयाणं वासा अट्ट जोयणसहस्सा साइरेगाई वित्वरेणं प० ॥ ८००० सूत्रं १२१ ॥ दाहिणभरहस्स णं जीवा पाईणपडीणायया दुहओ समुदं पुट्ठा नव जोयणसहस्साई आयामेण प० ॥ ९००० सूत्रं १२२ ॥ मंदरे णं पञ्चए धरणितले दस जोयणसहस्साई विक्खंभेणं प० ॥ १०००० सूत्र १२३ ॥ जम्बूदीवेणं दीवे एगं जोयणसयसहस्सं आयामविक्खंभेणं प० ।। १००००० सूत्रं १२४ ॥ लवणे णं समुद्दे दो जोवणसयसहस्साइं चक्कवालविक्खभेणं प० ॥। २००००० सूत्रं १२५ ॥ पासस्स णं अरहओ तिनि सयसाहस्सीओ सत्तावीसं च सहस्साई उक्कोसिया सावियासंपया होत्या ।। ३००००० सूत्रं १२६ ॥ घायइखंडे णं दीवे चत्तारि जोयणसयस इस्साई चक्कवालविक्संमेण प० ॥ ४००००० सूत्रं १२७ ।। लवणस्स णं समुद्दस्त पुरच्छिमिलाओ चरमंताओ पञ्चच्छिमिले चरमेते एस र्ण पंच जोयणसयसहस्साइं अषाहार अंतरे प० ।। ५००००० सूत्रं १२८ ॥ भरहे णं राया चाउरंतचकवट्टी छ पुष्वस For Parts Only ~219~ १२८ स मवाया. ॥१०४॥ Borary or
SR No.035007
Book TitleSavruttik Aagam Sootraani 1 Part 07 Samvay Mool evam Vrutti
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAnandsagarsuri, Dipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherVardhaman Jain Agam Mandir Samstha Palitana
Publication Year2017
Total Pages338
LanguagePrakrit, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_samvayang
File Size72 MB
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