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मूलाइका: ७८३ स्थानाङ्ग सूत्रस्य विषयानुक्रम [भाग १+२]
दीपमूलांक: विषय: | पृष्ठांक | | मलांक: । विषय:
पृष्ठांक | मूलांक: विषय:
पृष्ठांक स्थान-१ २४९ स्थान-४
५९२ | स्थान-७
१९४ - एक स्थान आश्रित विविध२४९ | -उद्देशक:
-सप्त स्थान-आश्रित विविध | विषयस्य प्ररूपणा २९२ - उद्देशक: २
विषयस्य प्ररूपणा ३३३ | --उद्देशक:३५७ स्थान-२ ३६२ | - उद्देशक: ४
स्थान-८ -- उद्देशक: १
-अष्ट स्थान-आश्रित विविध | --उद्देशक: २स्थान-५
विषयस्य प्ररूपणा --उद्देशक: ३
४२३ - उद्देशक: १९९ --उद्देशक: ४४५० -उद्देशक: २
स्थान-९ ४७९ | | - उद्देशक: ३
-नव स्थान-आश्रित विविध१२७ स्थान-३
विषयस्य प्ररूपणा | -- उद्देशक: १
५१८ स्थान-६ १६१ | --उद्देशक: २
-षड् स्थान-आश्रित विविध
स्थान-१० १८१ । | -- उद्देशक: ३
विषयस्य प्ररूपणा
०१० । -दश स्थान-आश्रित विविध- | --४८८ २०५ | -- उद्देशक: ४
-[उद्देशका: न अस्ति]
विषयस्य प्ररूपणा
४२३
१०१
રક |
८८८
पूज्य आगमोद्धारकरी संशोधित: मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित...आगमसूत्र-[०३], अंग सूत्र-[०३] “स्थान” मूलं एवं अभयदेवसूरि-रचित वृत्ति:
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