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आगम (०३)
[भाग-6] “स्थान" - अंगसूत्र-३ (मूलं+वृत्ति:) स्थान [८], उद्देशक [-], मूलं [६३६-६४४] + गाथा:
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सूत्रांक
[६३५-६४४]
सपए एवं चेव १३, एवं उत्तरेणवि १४ (सू०६३८) जंबूमंदरपुर० सीताते महानईए उत्तरेणं अट्र दीहवेयडा अट्ट तिमिसगुहाओ अट्ठ खंडगप्पवातगुहा अट्ठ कयमालगा देवा अट्ठ णट्टमालगा देवा अट्ठ गंगाकुंडा अट्ठ सिंधुकुंडा अट्ठ गंगातो अट्ठ सिंधूओ अट्ठ उसभकूडा पब्बता अह उसभकूडा देवा पं०१५, जंवूमंदरपुरच्छिमेणं सीताते महानतीते दाहिणणं अट्ठ दीहवेलडा एवं व जाव अह उसभकूडा देवा पं०, नवरमेत्य रत्तारत्तावतीतो तासिं चेव कुंडा १६, जंबूमंदरपवच्छिमे णं सीतोताए महानदीते दाहिणेणं अट्ट दीहवेयडा जाव अट्ठ नट्टमालगा देवा अट्ठ गंगाकुंडा अट्ट सिंधुकुंडा अट्ठ गंगातो अह सिंधूभो अट्ठ सभकूडपब्वता अट्ठ सभकूहा देवा पण्णत्ता १७, जंबूमंदरपञ्चत्थि० सीओताते महानतीते उत्सरेणं बाह दीहवेयडा जाव अट्ट नट्टमालगा देवा अट्ट रत्तकुंदा अट्ट रत्तावतिकुंडा भट्ट रचाओ जाव अह उसभकूडा देवा पं० १८ (सू०६३९) मंदरचूलिया णं बहुमझदेसभाते अढ जोयणाई विक्खंभेणं पं० १९ (सू० ६४०) धायइसंखदीवे पुरस्थिमश्रेणं धायतिरुक्खे अह जोयणाई नहुं चश्चत्तेणं ५० बहुमज्झदेसभाए अह जोयणाई विक्खंभेणं साइरेगाई मह जोयणाई सम्बग्गेण पं० एवं धायहरुक्खातो आढवेत्ता सञ्चेव जंबूदीववत्तव्वता भाणियब्वा जाव मंदरचूलियत्ति एवं पत्रछिमद्धेवि महाधाततिरुक्खातो आढवेत्ता जाव मंदरचूलियत्ति एवं पुक्सरवरदीवपुरच्छिमद्धेवि पउमरुक्थाओ आढवेत्ता जाप मंदरपूलियत्ति एवं पुक्खरखरदीवपश्चत्थि० महापत्तमरुक्खातो जाव मंदरचूलितत्ति (सू०६४१) जंधूदीवे २ मंदरे पग्बते भासालवणे मह दिसाहत्यिकूहा पं० सं०-पचमुत्तर नीलवंते सुहत्थि अंजणागिरी कुमुते य । पलासते वडिंसे (भट्ठमए) रोयणागिरी ।।१॥१जंबूदीवस्स णे दीवस्स जगती अह जोयणाई पई नचचेण बहुमजादेसभाते अजोयणाई
दीप
अनुक्रम [७४६-७८१]
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पूज्य आगमोद्धारकरी संशोधित: मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित....आगमसूत्र - [३], अंग सूत्र - [०३] "स्थान" मूलं एवं अभयदेवसूरि-रचित वृत्ति:
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