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आगम (०३)
[भाग-5] “स्थान" - अंगसूत्र-३ (मूलं+वृत्ति:)
स्थान [४], उद्देशक [३], मूलं [३२७] पूज्य आगमोद्धारकरी संशोधित: मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित....आगमसूत्र - [०३], अंग सूत्र - [३] "स्थान" मूलं एवं अभयदेवसूरि-रचित वृत्ति:
प्रत
सूत्रांक
[३२७]
नामगेमे तुग्गए सुग्गए नाममेगे मुग्गए, चत्तारि पुरिसजाया पं० २०-दुग्गते नाममेगे दुवए दुग्गए नाममेगे मुब्बए सुग्गए नाममेगे दुब्बते सुग्गए नाममेगे सुखए ४, चत्तारि पुरिसजाया पं० २०-दुग्गते नाममेगे दुष्पडितागंदे दुग्गते नाममेगे मुष्पडिताणंदे ४, चत्तारि पुरिसजावा पं०२०-दुग्गते नाममेगे दुग्गतिगामी दुग्गए नाममेगे सुग्गतिगामी ४, चचारि पुरिसजाया पं० तं०-दुग्गते नागमेंगे दुग्गतिं गते दुग्गते नाममेगे सुगति गते ४, चत्तारि पुरिसजाता पं० सं०-तमे नाममेगे तमे तमे नाममेगे जोती जोती णाममेगे तमे जोती णाममेगे जोती ४, पारि पुरिसजाता पं० सं०-तमे नाममेगे तमबले तमे नाममेगे जोतिबले जोती नाममेगे तमबले जोती नाममेगे जोतीबले, चत्तारि पुरिसजाता पं० २०–तमे नाममेगे तमवलपलजणे तमे नामभेगे जोतीवलपलक्षणे ४, चत्वारि पुरिसजाना पं० २०-परिनायकम्मे नाममेगे नो परिन्नातसन्ने परिन्नातसन्ने णाममेगे णो परिन्नातकम्मे एगे परिन्नातकम्मेवि० ४, चत्तारि पुरिसजाता पं० २०-परिन्नायकम्मे णाममेगे नो परिजातनिहायासे परित्रायगिहावासे णाम एगे णो परिन्नातकम्मे ४, पत्तारि पुरिमजाता पं० सं०-परिण्णायसन्ने गाममेगे नो परिभातगिहावासे परिजातनिहावासे णामं एगे०४, पत्तारि पुरिसजाता पं० सं०-इहत्थे णाममेगे नो परत्थे परस्थे नाममेगे नो इहरये ४, चत्तारि पुरिसजाता पं० सं०-एगेणं णाममेगे बहुति एगेणं हायति एगेणं णाममेगे व दोहिं हायति दोहिं णाममेगे वडति ए. . गेणं हातति एगे दोहिं नाममेगे यति दोहिं हायति, चत्तारि कंथका ५००-आइने नाममेगे आइने आइन्ने नाममेगे खलुके खलुके नाममेगे आइन्ने खलुके नाममेगे खलुके ४, एवामेव चत्तारि पुरिसजावा पं० २०-आइन्ने नाम
दीप
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अनुक्रम [३४९]
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