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[भाग-०४] श्री सूत्रकृताङ्गसूत्रम् भाग-२
नमो नमो निम्मलदसणस्स पूज्य श्रीआनंद-क्षमा-ललित-सुशील-सुधर्मसागर गुरुभ्यो नम:
“सूत्रकृत्" मूलं एवं वृत्ति: [मूलं + भद्रबाहुस्वामी कृत् नियुक्ति; + शिलांकाचार्य रचित वृत्तिः]
श्रुतस्कंध-१, अध्ययन- १४ से १६ एवं श्रुतस्कंध-२
[आद्य संपादक: - पूज्य आगमोद्धारक आचार्यदेव श्री आनंदसागर सूरीश्वरजी म. सा. ]
(किञ्चित् वैशिष्ठ्यं समर्पितेन सह) पुन: संकलनकर्ता, मुनि दीपरत्नसागर (M.com., M.Ed., Ph.D.)
28/07/2017, शुक्रवार, २०७३ श्रावण शुक्ल ५
'सवृत्तिक-आगम-सुत्ताणि' श्रेणि भाग-४
श्री आगमोद्धारक-वाचना-शताब्दी-वर्ष-निमित्त 'आगम-वृत्ति-मुद्रण-प्रोजेक्ट'