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________________ आगम (०१) प्रत सूत्रांक [१७९] दीप अनुक्रम [993... ५४०] [भाग 2] “आचारमूलं ” – अंगसूत्र - १ (मूलं + निर्युक्तिः+वृत्तिः) श्रुतस्कंध [२. ], चुडा [३], अध्ययन [-] उद्देशक [-] मूलं [१७९] निर्मुक्तिः [ ३४१] पूज्य आगमोद्धारकश्री संशोधित मुनि दीपरत्नसागरेण पुनः संकलित.. आगमसूत्र [०१], अंग सूत्र [०१] "आचार" "मूलं एवं शिलांकाचार्य-कृत् वृत्तिः आ. सू. ७२ Education Internation उग्गइंसि उ अभिक्खणं २ अणुग्गहणसीले अदिन्नं गिरिजा, निम्गंधे उग्गहंसि उग्गहियंसि अभिक्खणं २ उम्हणसीलपति चउत्था भावणा । अहावरा पंचमा भावणा- अणुवीर मिउग्गहजाई से निम्गंधे साहम्मिएसु नो अणणुवीई मिमाहजाई, केवली बूया --- अणणुबीइ मिउग्गहजाई से निम्मांधे साहम्मिएस अदिनं उगिदिला अणुवीइमिङमाहजाई से निग्गंथे साहम्मिएस नो अणणुबीइमिङगाइजाती इइ पंचमा भावणा, एतावया तचे महत्वए सम्मं० जाव आणाए आराहुए यावि भवइ, तयं भंते! महव्वयं । अहावरं चत्यं महत्वयं पशक्खामि सव्वं मेहुणं, से दिव्यं वा माणुस्सं वा तिरिक्खजोणियं वा नेव सयं मेहुणं गच्छेजा तं चेवं अदिन्नादाणवत्तन्वया भाणियव्वा जाव वोसिरामि, तस्सिमाओ पंच भावणा भवति, तत्यिमा पढमा भावणानो निगंधे अभिक्खणं २ इत्थीणं कहूं कहिए सिया, केवली बूयानिग्थे णं अभिक्खणं २ इत्थीणं कहूं कहेमाणे संतिभेया संतिविभंगा संतिकेवलीपन्नत्ताओ धम्माओ भंसिना, नो निमगंथे णं अभिक्खणं २ इत्थीणं कहं कहित्तए सियति पढमा भावणा १ । अहावरा दुवा भावणानो निगांचे इत्थीणं मणोहराई २ इंदियाई आलोत्तर निज्झाइए सिया, केवली वूया-निमांचे णं इत्थीणं मणोहराई २ इंदियाई आलोएमाणे निव्झाएमाणे संतिभेया संतिविभंगा जाव धम्माओ भंसिज्जा, नो निग्ये इत्थीणं मणोहराई २ इंदियाई आलोइत्तर निज्झाइत्तए सियति दुवा भाषणा २ । अद्दावरा तथा भावणानो निग्गंथे इत्यीणं पुथ्वरयाई पुष्वकीलियाई सुमरित्तए सिया, केवली वूया - निम्गंचे णं इत्थीणं पुव्वरवाई पुञ्वकीलियाई सरमाणे संतिभेया जाव मंसिज्जा, नो निगंधे इत्थीगं पुव्वरयाई पुष्यकी - लियाई सरितर सियत्ति तथा भावणा ३ अहावरा चउत्था भावणानामत्तपाणमोयणभोई से निमांचे न पणीयर For PaPa Lise Only ~568~ এ%%%%%%%%%%
SR No.035002
Book TitleSavruttik Aagam Sootraani 1 Part 02 Aachaar Mool evam Vrutti Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAnandsagarsuri, Dipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherVardhaman Jain Agam Mandir Samstha Palitana
Publication Year2017
Total Pages586
LanguagePrakrit, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_acharang
File Size117 MB
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