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________________ ७७ महिता अबजी पाटकि जाणीइ ए । शीतल जिनवर देव तु । धन २॥ जि०॥ ९३ ।। जिनवर सात तिहां अरचीआ ए। लहु देहरइ जिन शांति तु। धन २॥ जि०॥९४॥ ॥ ढाल || बाहुबलि राणानी० ॥११॥ कुसुंभीआ पाटकि हिवई । दीठला शीतल देव रे । उगणीस पडिमा तिहां जुहारीइ । वारीइ दुरगति देव रे॥१५॥ पेषउ २ श्रीजिनचंद्रमा । पामउ २ सुक्ख उदार रे । भविअचकोर जिणइ दीठडइ । उल्हसइ हईइ अपार रे। पेषु २ श्रीजिन० आंचली ॥ वीजइ देहरइ हिवई वंदीइ । पासजिनप्रतिमा बार रे। जगपाल देहरासरि नमी । पडिमा वीस ज सार रे॥पेषु०९६॥ वाछा दोसी घरि हिवइ पूजीइ । मोहनपास जिनदेव रे । सोल ज बिंब अवर नमुं । कीजइ २ भगतई सेव रे।पेषु०॥९॥ नाकरमोदीनइ पाटकई । पूजउ २ पास जिन स्वामि रे । प्रतिमा अत वली बार भणुं । पहुचइ २ बंछित काम रे।पेषु०९८ नानजी पारषि घरि वली। पूजु २ वासुपूज्य जिनदेव रे । प्रतिम सोल अवर अ छइ ।धर्मसी घरि शांति देव रे॥पेषु०९९ एकत्रीस जिनबिंब भाव सोउं । वंदीइ हरषि उल्हासि रे । सांडा पारषि देहरासरई । वंदउर श्रीजिन पास रे॥पेषु०१०० Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034999
Book TitlePatan Chaitya Paripati
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKalyanvijay
PublisherHansvijayji Jain Free Library
Publication Year1926
Total Pages134
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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