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________________ सरवालो ५४९७+२८६८-८३६५ आठ हजार घणसोने पांसठनो थाय छे, अने जो रत्नादिनी प्रतिमाओ जुदी गणीने तेनी ४१ ए संख्या आमां उमेरोए तो सरवालो ८४०६ ए आवे छे, पण परिवाडीकारे आपेल टोटल मलतुं नथी, एर्नु कारण तेमनी गफलत नहिं, पण तेमनी मानसिक अपेक्षा छे. पटले के आपेली छेल्ली संख्या पूर्वोक्त बे संख्या मोनो मात्र सरवालो ज नहिं पण ते संख्यामां केटलीक परचुरण संख्या वधारीने जणावेली संख्या छे, पण आ अपेक्षा निबन्धकारे शब्दद्वारा व्यक्त करी नथी.' __ पाटण शहेरनी चैत्यपरिवाही पूरी करीने तेने लगती ज पाटणनी आसपासनां न्हानां म्होटां लगभग १२ गामडाओनी चैत्यपरिवाडी पण आ साथे जोडी दीधी छे. आ १२ बार गामोना चैत्योनी संख्या २५ अने प्रतिमासंख्या १२०७ जेटली थाय छे, आ संख्या पूर्वोक्त पाटणनी प्रतिमासंख्यामां जोडीने परिवाडीकारे आ प्रमाणे संख्या जणावेली छे-९५९८नव हजार पांचसो ने अठाणुं. आ संख्यामां पण ३ ना फरक आवे छे. परिवाडीकारनी जणावेली पाटणनी बिंबसंख्याना ८३९४ ए आंकडो अने बहारगामनां चैत्योनी बिंबोनी सं. ख्यानो आंक जे १२०७ नो थाय छे; ए बेने भेगा करतां ८३९४+१२०७=९६०१ नव हजार छ सो ने एक थाय छे, ज्यारे परिवाडीकारे आपेली संख्या ९५९८ छे. _____एज रीते आपणे प्रत्येक महोल्लाना चैत्योनी प्रतिमाShree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034999
Book TitlePatan Chaitya Paripati
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKalyanvijay
PublisherHansvijayji Jain Free Library
Publication Year1926
Total Pages134
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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