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________________ (२१७) पर ही रखा है, तो मैं इस फैसलेको रत्नपुर जाने बाद सुनाउँ तो कुछ हर्ज हैं क्या? सबके सब०-नहीं साहब ! ऐसा नहीं, रत्नपुर जाने बाद तो सब ही कोई अपने २ कार्यमें लग जावेंगें! वास्ते आप यह फैसला तो यहीं पर-अर्थात् अब ही मुना दीजिये ! सबब परसों सुबहतो बरातकी रवानगी है. सबब कल इसी टाईमपर फैसला सुनानेका रखिये. पंडित०-आप सर्व साहबानों की ऐसी ही इच्छा है तो कल दो पहरको दो बजे मैं इस फैसलेको सुनाउँगा! ठीक वक्त पर आप सर्व साहबानोंने तशरीफ लेनेकी कृपा करना. (सवही जाते हैं.) 'नवम किरण. (स्थान-मोहनलालजी वकीलका उतारा.) आज चर्चाका तीसरा दिन है, आज पंडितजी फैसला मुनानेवाले होनेसे वकील साहबके बैठकवाले दालानमें डेढ़ बजे ही सर्व सभासद आकर जमा हो गये हैं, ठीक दो बजे पंडितजी भी आ गये और बीचमें बीछी हुई गद्दीपर बैठकर फैसला सुनाते हैं. तिथिचर्चाका फैसला. इस तिथिचर्चाके अंदर वादी तरीके श्रीयुत् इन्द्रमलजीसाहप है, और प्रतिवादी तरीके श्रीयुत् वकील मोहनलालजी Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034996
Book TitleParvtithi Prakash Timir Bhaskar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTrailokya
PublisherMotichand Dipchand Thania
Publication Year1943
Total Pages248
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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