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________________ (१८९) आचार्य महाराज विगेरे बुधवारे अने गुरूवारे वे तेरस करशे, अने चौदश शुक्रवारे पाक्खी करी शनिवारे अमावास्या करशे, परंतु मात्र रामटोली थोड़ी मुदतथी शास्त्र अने परंपराने उठावीने तथा पोतानी अने पोताना वड़ीलोनी अत्यारसुधीनी मान्यता अने आचरणाने उठावीने 'हवे बे पुनम अने बे अमावास्या मानीने' गुरूवारे पक्खी करवा मागे छे अने वृद्धपुरुषना नामे गप्पगोला हांके छे. माटे शासनने माननाराओए भ्रममां पड़वुं नहिं अने शुक्रवारेज पक्खी करवी. ता. कः - उपर जणावेल सत्यना निर्णय माटे राम० ना उपाध्यायने सुद ८ दिने जणाव्या छतां विहार करी गया छे. कागल काला करनार आवाज होय. मुनि विमलसागर. इतने में आ० विजयसिद्धिसूरिजी भी श्री गिरिराजकी यात्रार्थ पालीताणा आते हुए गारीयाधारको आ पहुंचे. उसवक्त उस दोनो पत्रिकाऐं उ० जं० वि० को व. उ० मनहरविजयजी को गारीयाधार पहुचाई गईथी. इसके अलावा भी जो एक पत्र श्रीमनोहरविजयजीको भी श्रीहंससागरजीने लिखाथा, उस पत्रको मैं पढ़ता हूं, आप सुनिये. स्थल पालीताणा महा वदी १२ उपाध्यायजी महाराज श्रीमनोहरविजयजी, योग्यं वंदनपूर्वक जणाववानुं के चालु मासनी ने अमावास्या बाबत पेपर Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034996
Book TitleParvtithi Prakash Timir Bhaskar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTrailokya
PublisherMotichand Dipchand Thania
Publication Year1943
Total Pages248
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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