SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 62
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ४४८ नागरीप्रचारिणी पत्रिका चोटें सँभाल नील पिला शिला उठाय मस्त । जबर्दस्त प्रहस्त का मस्तक छितराय गए अस्त । सेनापत रावन का मारा । जस लै नील सेना संभारा॥ निशिचरने जाय रावन पोकारा। डरपाय हिम्मत भी हारा ॥ आप आया सब सहाय को टारा ॥५५॥ रथ पर देखो लंकेश को सब सज खड़े सहाय । सबके नाम राम पूछा बिभीषन दिया बताय ॥ इन्हीं ने त्रैलोक्य हराया । रावन ने सब को रोवाया । परधान मरासुन प्रापचढ़ आया। जिनने प्रभु की नार चोराया। देव दानो का मक्कान छोड़ाया ॥५६।। रघुबर कहें मारो मुकर न जावता फिरे । सब देव सजन देखें बाणों सों सिर गिरे ॥ अकेला रावन पिला है। सुग्रीव सजीव गिरा है। हनुमान मुष्टीसों कष्टी हिला है । नील की फुर्ती देख खिला है। - लछमन बली को बर्थी कीला है ॥५७।। लछमन उठाए ना उठे हनुमान ने लखा। रावन गिराय ल्याए लछमन को निज सखा । देखा रघुनाथ रिसाने । सनमुख सिया-चोर देखाने । रामबान लगे नंगा होय पराने । भागा रावन देव हरखाने । - लछमन बाँदरों के जखम झुराने ॥५८।। यों सहज बान चीखे तीखे लगे कठोर । कहा कुंभकरन जागे लागेगा मेरा जोर ॥ मुश्किल सो भाई जगाया। उठा जो पर्वत देखाया । आय रावन सों सनमान को पाया।महोदर को डाँट दबकाया॥ सिरपाव पाय लड़ने को धाया ॥५॥ %3D Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034973
Book TitleNagri Pracharini Patrika Part 13
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGaurishankar Hirashankar Oza
PublisherNagri Pracharini Sabha
Publication Year1933
Total Pages118
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy