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________________ (१२) कवि जटमल रचित गोरा बादल की बात [ लेखक–महामहोपाध्याय रायबहादुर गौरीशंकर हीराचंद ओमा] सुलतान अलाउद्दीन खिलजी की चित्तौड़ पर चढ़ाई के समय काम आनेवाले वीर गोरा बादल की कथा राजपूताने आदि में घर घर प्रसिद्ध है। प्रत्येक जगह उक्त वीरों की वीर-गाथा बड़े ही प्रेम से सुनी जाती है। गत सितंबर मास में मेरा दौरा बीकानेर राज्य के इतिहास-प्रसिद्ध भटनेर ( हनुमानगढ़ ) नामक दुर्ग के अवलोकनार्थ. हुआ। उस समय बीकानेर में पुरानी राजस्थानी एवं हिंदी भाषा के परम प्रेमी ठाकुर रामसिंहजी एम० ए० (डाइरेक्टर ऑफ पब्लिक इंसट्रक्शन, बीकानेर स्टेट) और स्वामी नरोत्तमदासजी एम० ए० (प्रोफेसर ऑफ हिंदी तथा संस्कृत, डूंगर कॉलेज, बीकानेर) से मिलना हुआ। मुझे यह बात जानकर बड़ा हर्ष हुआ कि ये दोनों विद्वान आजकल ढोला-मारू की प्राचीन कथा का संपादन कर रहे हैं और 'गोरा बादल की बात' नामक पद्यात्मक पुस्तक का भी संपादन करनेवाले हैं। उन्होंने मुझको उपर्युक्त दोनों पुस्तकें दिखलाई, जिनको मैंने इस प्रवास में पढ़ा। पाठकों के अवलोकनार्थ आज मैं 'गोरा बादल की बात' नामक पुस्तक का आशय यहाँ पर प्रकट कर ऐतिहासिक दृष्टि से उस पर कुछ विवेचना करता हूँ। प्रारंभ में यह बतला देना आवश्यक है कि उक्त काव्य का कथानक मलिक मुहम्मद जायसी के पद्मावत से मिलता जुलता है तो भी कई स्थलों में उससे भिन्नता भी है। संभव है कि जटमल ने, जो इस ग्रंथ का रचयिता है, जायसी के ग्रंथ 'पद्मावत' को देखा हो अथवा सुना हो; क्योंकि वह उसकी रचना से ८३ वर्ष पूर्व बन चुका था। Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034973
Book TitleNagri Pracharini Patrika Part 13
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGaurishankar Hirashankar Oza
PublisherNagri Pracharini Sabha
Publication Year1933
Total Pages118
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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