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________________ ४०२ नागरीप्रचारिणी पत्रिका ___ओसवाल महाजनों की जाति में नाहर एक गोत्र है, अतएव संभव है कि जटमल जाति का ओसवाल महाजन हो । संबला गाँव कहाँ है, इसका पता अभी तक नहीं चला, पर इतना तो निश्चित है कि वह (जटमल) मेवाड़ का निवासी नहीं था। यदि ऐसा होता तो चित्तौड़ के राजा रत्नसेन को, जो गुहिलवंशी था, कदापि वह चौहानवंशी नहीं लिखता। वह बारह वर्ष (जायसी ८ वर्ष ) तक बादशाह का निरर्थक ही चित्तौड़ को घेरे रहना बतलाता है जो निर्मूल है। उस समय तक मंसबदारी की प्रथा भी जारी नहीं हुई थी। छ: महीने तक चित्तौड़ का घेरा रहने के बाद सुलतान अलाउद्दीन ने वह किला फतह कर लिया, जिसमें रत्नसिंह मारा गया और पद्मिनी ने जौहर की अग्नि में प्राणाहुति दी। जायसी ने पद्मिनी के पिता को सिंहल (लंका)काराजा चौहानवंशी गंधर्वसेन (गंध्रवसेन ) बतलाया है, किंतु जटमल ने पद्मिनी के पिता के नाम और वंश का परिचय नहीं दिया है। पद्मिनी कहाँ के राजा की पुत्री थी, इसका निश्चय करने के पूर्व रत्नसिंह ( रत्नसेन) के राजत्वकाल पर भी दृष्टि देना आवश्यक है। इस कथा का चरित्र-नायक रत्नसिंह ( रतनसी, रत्नसेन ) चित्तौड़ के गुहिलवंशी राजा समरसिंह का पुत्र था। समरसिंह के समय के अब तक आठ शिलालेख मिले हैं, जिनमें सबसे पहला वि० सं० १३३० ( ई० * कलकत्ते के सुप्रसिद्ध विद्वान् बाबू पूर्णचंद्रजी नाहर एम० ए०, बी. एल. से ज्ञात हुआ कि उनके संग्रह में जटमल का रचा हुआ एक और भी काव्य-ग्रंथ है, जिसमें जटमल का कुछ विशेष परिचय मिलता है। यह लेख लिखते समय वह ग्रंथ हमारे पास नहीं पहुंचा, जिससे जटमल का पूर्ण परि. चय नहीं दिया जा सका। नाहरजी के यहाँ से उक्त पुस्तक के आने पर ग्रंथकर्ता के विषय में कुछ अधिक ज्ञात हो सका तो फिर कभी वह पृथक रूप से प्रकाशित किया जायगा । Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034973
Book TitleNagri Pracharini Patrika Part 13
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGaurishankar Hirashankar Oza
PublisherNagri Pracharini Sabha
Publication Year1933
Total Pages118
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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