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(७) जयमल्ल और फत्ता (पत्ता) की प्रतिमाएं
[लेखक-ठाकुर चतुरसिंह, मेवाड़ ] श्री सद्गुरुशरण अवस्थी बी० ए० नामक विद्वान् ने भारतवर्ष की सुप्रसिद्ध मासिक पत्रिका "प्रभा' (१ जुलाई सन् १६२४ के अंक ) में नेपाल राज्य की भौगोलिक स्थिति का संक्षिप्त परंतु बड़ा ही सुंदर वृत्तांत लिखा है, और प्रसिद्ध प्रसिद्ध स्थानों के अनेक फोटो देकर उस लेख की और भी मनोहरता बढ़ा दी है। उक्त लेख अपने भ्रमण में नेत्रों से देखका लेखा है, या किसी पुस्तक आदि से, इस बात का आपने उल्लेख कहीं नहीं किया, परंतु पूर्वापर विचार से यात्रा में सब दृश्य देखकर ही लिखा गया प्रतीत होता है। लेख सब प्रकार से हृदयग्राही होने पर भी इतिहास-विद्या से अनभिज्ञ साधारण मनुष्यों के कथन पर विश्वास कर लेने से कुछ भूलें भी हो गई हैं। जैसे पृष्ठ ३१ में ललितपट्टन नगर का बसानेवाला राजा बीरदेव लिखा गया है, परंतु इतिहास में इसका निर्माता प्रसिद्ध महाराज प्रशोक प्रियदर्शी ( ईस्वो स० से २७२ से २३२ वर्ष पूर्व) माना जाता है। इसी प्रकार पृष्ठ ३६ में माप लिखते हैं कि "नेपाल में मुख्य चार संवत् हैं ( १ विक्रम, २ शालिवाहन, ३ नैपाली और ४ कालीगाँव संवत् )। यह (कालीगाँव) संवत् सब से प्राचीन है, नैपाल के इतिहासों में इसका प्रयोग कहीं कहीं किया गया है। इसका प्रारंभ ईसा से ३१०१ वर्ष पहले से है।" कालीगाँव संवत् भी भ्रम से लिखा गया होगा, क्योंकि उक्त नाम का संवत् कहीं सुनने में नहीं आया। वास्तव में इसका
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