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नागरी प्रचारिणी पत्रिका
इन पूर्वी देशों में भारतीय सभ्यता अब तक विद्यमान है । वहाँ के त्योहार इत्यादि भारतीय हैं।
रामायण तथा
बाहरी देशों में महाभारत का उतना ही मान वहाँ पर भारतीय सभ्यता श्राज है जितना यहाँ पर । उदाहरण के तक विद्यमान है । लिये श्याम के एक त्योहार का संक्षिप्त
विवरण नीचे दिया जाता है ।
श्याम में इस त्योहार को "लोह चिंगचा" बोलते हैं । इस शब्द का सीधा अर्थ है "झूला झूलना" । यह त्योहार पौष महीने में श्याम के बैंकाक नगर में मनाया जाता है । इसमें ब्राह्मणों का बड़ा काम पड़ता है । इसके मनाने के
श्याम में झूले का त्योहार
लिये एक विशेष तीर्थस्थान नियत है । प्रति वर्ष नियत दिन से कुछ समय पहले राजा अपने एक उच्च पदाधिकारी को उत्सव का प्रमुख बनने का काम सौंप देता है । इसको शिव का ( फ्राईवेन, अर्थात् ईश्वर ) पार्ट खेलना पड़ता है ।
झूले के लिये एक बाड़ा बाँधा जाता है । यह झूला छः मजबूत रस्सों का होता है । उसमें झूलने के लिये एक तखता कोई छ फुट लंबा लटका दिया जाता है । इस तखते में एक और रस्सो बँधी होती है जिसे पकड़कर कोटे देने में आसानी होती है । झूले के पश्चिम की ओर उससे थोड़ी दूर पर एक लंबा बाँस गाड़ दिया जाता है और उस में रुपयों की एक पोटली लटका दी जाती है । उत्सव के प्रारंभ होते समय चार हृष्ट पुष्ट युवक विशेष प्रकार के वस्त्र धारण करके झूले पर चढ़ जाते हैं। इनकी टोपियाँ बड़ी ऊँची होती हैं और देखने में नागमुखी सी लगती हैं।
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