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विशाल भारत के इतिहास पर स्थूल दृष्टि १४६ गहरा प्रभाव पड़ा। सन् ७३६ में भारत का बौद्ध पंडित बोधीसेन जापान में गया और वहाँ का महंत बना। इन प्रचारकों ने जापान में संगीत, शिल्प तथा अन्य कलाओं की भी बड़ो भारी उन्नति की जिनके नमूने जापान के विचित्रालय में अब तक विद्यमान हैं। इनके अतिरिक्त बौद्ध हकीमों ने अपनी सेवा तथा सौजन्य से ऐसा प्रभाव डाला कि बौद्ध धर्म की बड़ी जल्दी उन्नति हुई।
तिब्बत देश की राजनीतिक महत्ता सातवीं शताब्दी में 'महाराजा साँग सान गेम्पो (६३०.६६८ ई०) के समय में
__ बढ़ी। सान गेम्पो ने दो विवाह किए, तिब्धत में भारतीय
एक नेपाली स्त्री से, दूसरा चीनी स्त्री से। सभ्यता
उसकी नेपाली रानी ने तिब्बत में बौद्ध धर्म का प्रचार किया। गेम्पो ने अपने मंत्री कुंभी संपोटा को बौद्ध धर्म का अध्ययन करने के लिये भारतवर्ष भेजा। उसने देवनागरी प्रक्षरों के आधार पर तिब्बती लिपि बनाई। गेम्पो के बाद एक और राजा ने (७४०-७८६) भारतीय विद्वानों को अपने यहाँ बुलाया और बौद्ध ग्रंथों के अनुवाद कराए। इस प्रकार तिब्बत का अपना साहित्य तथा धर्म-पुस्तकें तैयार हो गई।
तिब्बत में एक नवीन प्रकार का संप्रदाय पैदा हो गया । वहाँ पर उच्च दर्शनशास्त्र तथा वास्तविक बौद्ध धर्म के स्थान पर रहस्यवाद और छायावाद का अधिक प्रादर हुमा। इसी के फल खरूप वहाँ पर वज्रयान तथा कालचक्रयान की उत्पत्ति हुई और लामामत की स्थापना हुई।
तेरहवीं शताब्दी में टाओ मतावलंबियों ने बौद्ध धर्म का बड़ा विरोध किया और बौद्ध धर्म माननेवालों पर बड़े प्रत्याचार
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