SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 90
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ SAR . ... के लिए साध्य और साधन की शुध्दता अत्यंत आवश्यक है। अघोरी .... बाबा, तांत्रिक आदि के और रागी-व्देषी देवी देवताओं के जो मंत्र हैं, वे सदोष होने के कारण आत्मकल्याण में बाधक होते हैं। उनके कारण हिंसादि पाप प्रवृत्तियों को प्रोत्साहन मिलता है और जीव दुर्गति को प्राप्त होता है। इसी कारण महाव्रती साधु-मुनिराजों व्दारा अनुभूत, सर्वथा निर्दोष और स्वपर उपकारक मंत्रों का जाप करनाही आराधक के लिए उचित है। यहाँ हम कुछ ऐसे मंत्र प्रस्तुत कर रहे हैं; जो आत्म कल्याणकारी और इष्ट सिध्दि दाता हैं। संकट मोचन के लिए इन मंत्रों का उपयोग करना चाहिये। शनिग्रह से पीडित व्यक्ति के लिए निम्नलिखित मंत्रों का जाप असरकारक होता है. १. ॐ नमो भगवओ अरहओ मुणिसुब्बयस्स सुब्बए सुब्बए । महासुव्वए अणुसुव्वए वएमइ ठः ठः ठः स्वाहा। 2 २. ॐ हीं अहं श्रीमुनिसुव्रत स्वामिने ॐ हीं अहं नमः मम शान्तिं कुरू कुरू स्वाहा। ३. ॐ हीं नमो लोएसव्व साहूणं । ४. ॐ हीं मुनिसुव्रत प्रभो! नमस्तुभ्यं मम शान्तिः शान्तिः। विधि - जन्म पत्रिका में, गोचर में शनि देव की पनोती प्रतिकूल होने पर उपरोक्त चार मंत्रों में से किसी एक मंत्र का जप तम-मन-वसन शुध्दिपूर्वक करना चाहिये तथा श्री मुनिसुव्रत स्वामी भगवान की पूजा करनी चाहिये। नमस्कार मंत्र से संबंधित मंत्र १.ॐ हीं श्रीं अर्ह असि आउ सानमः। MAY:00 श्रीमुनिसुव्रत स्वामी चरित ६६ Shiree sudharmaswami-ayaribhandar-Umera, Suret m rani-eyenis
SR No.034967
Book TitleMunisuvrat Swami Charit evam Thana Tirth Ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPurnanandvijay
PublisherRushabhdevji Maharaj Jain Dharm Temple and Gnati Trust
Publication Year1989
Total Pages104
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size16 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy