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________________ प्राप्ति होती है। १५) ॐ हीं श्रीं अहं धर्मनाथाय नमः विधि-रोज एक माला गिनने से जानवरों का उपद्रव मिटता है। १६) ॐ हीं श्रीं अहं शांतिनाथय नमः विधि - विधियुक्त रोज जाप करने से ग्रामादिक का उपद्रव नाश होता है एवं गुरू ग्रह कीशांति होती है। १७) ॐ हीं श्रीं अहँ कुंथुनाथाय नमः विधि - इसकी एक माला रोज गिनने से दुश्मन पर विजय प्राप्त होती है। १८) ॐ हीं श्रीं अहं अरनाथाय नमः विधि-रोज एक माला फिराने से सर्वत्र विजय होती है। १९) ॐ हीं श्रीं अहं मल्लिनाथाय नमः विधि-इसकी रोज एक माला गिनने से चोरादिक के भय का नाश होता है। २०) ॐ हीँ श्रीँ अहं मुनिसुव्रत नाथाय नमः विधि - एक माला रोज फिराने से शनि ग्रह की शांति होती ? २१) ॐ ही श्री अहं नमिनाथय नमः विधि-इस जाप की एक माला रोज गिनने से सभी प्रकार से अच्छा होता है। २२) ॐ हीं श्रीं अहं अरिष्टनेमिनाथाय नमः विधि - इसका विधियुक्त जाप करने से दुःकाल का नाश होता है। |२३) ॐ हीं श्री अर्ह पार्श्वनाथाय नमः __विधि - इसकी एक माला रोज फिराने से इच्छित कार्य की .. श्रीमुनिसुव्रत स्वामी चरित ७७ -7A Shree Sudhak varni-Gyanbhainreler-damere-Sure
SR No.034967
Book TitleMunisuvrat Swami Charit evam Thana Tirth Ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPurnanandvijay
PublisherRushabhdevji Maharaj Jain Dharm Temple and Gnati Trust
Publication Year1989
Total Pages104
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size16 MB
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