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उदयपुर.
टेकरी पर, तालाव के किनारे बना हुआ प्राचीन राजमहल, दर्शकों के चित्त को आकर्षित करता है। इसके पास ही अंग्रेजी फैशन से बने हुए शंभुनिवास तथा शिवनिवास नामक महल और उनके नीचे ही अवस्थित विशाल तालाव, शहर की शोभा को बढ़ा रहे हैं । अनेक तालाव, अनेक बगीचे और अनेक महलों से सुशोभित उदयपुर, एक दर्शनीय शहर है, ऐसा अवश्यमेव कहा जा सकता है। उदयपुर की नगररचना की एक खूबी यह है, कि चाहे जहाँ खडे होकर चारों तरफ दृष्टि डालो, पहाड ही पहाड दिखलाइ पड़ेंगे। चाहे जहाँ खडे होकर देखने पर भी, ऐसा जान पडता है, मानों हम पहाडों के बीच में ही खडे है। यह नगर की बनावट की विशेषता है।
इसका एक खास कारण है। उदयपुर, महाराणा उदयसिंह का बसाया हुआ नगर है। पहिले, मेवाड़ की राजधानी चितोडगढ़ में थी । वह गढ सुदृढ होते हुए भी, एक ऐसे लम्बे से पहाड़ पर बना हुआ है, कि जो पहाड़ अन्य पर्वतों से बिलकुल अलग पड़ गया है। परिणामतः, शत्रुओं से युद्ध करने में बड़ी कठिनाई उपस्थित होती थी। इस असुविधा को दूर करने के लिये, महाराणा उदयसिंहजी ने, उदयपुर बसाने के निमित्त, चारों तरफ पर्वतों से घिरे हुए इस स्थान को पसन्द किया था। उदयपुर की सुन्दरता में उसकी प्राकृतिक स्थिति अधिक कारणभूत है। चारों तरफ विशाल तालाव, पहाड़ और उन पहाड़ों पर की हरियाली, सचमुच ही चित्ताकर्षक है। उदयपुर राज्य में, पहाड़ों तथा सरोवरों की जैसी
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