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भारतवर्ष में मेवाड का बेजोड स्थान
शायद ही कभी बढ पाया हो। किसी किसी मुनिरानने करेड़ा की तरफ थोड़ा विहार बढाया था, ऐसा सुना जाता है । किन्तु केवल एक ही बार के विहार या उपदेश से स्थायी असर नहीं हो सकती। और इसी कारण, थोड़े से सिंचन के पश्चात् लम्बी अवधि तक अभाव रहने पर फिर वही की वही शुष्कता आ जाती है।
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