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( १२ )
उपसंहार
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समय के अभाव तथा अन्य प्रवृत्तियों के कारण, केवल थोड़े समय तक ही मेवाड़ में विचरने का सौभाग्य प्राप्त हो सका है। उस अनुभव के आधार पर मैं यह बात कह सकता हूँ, कि मेवाड़ धर्मप्रधान और इतिहासप्रधान देश है। पहाड़ो तथा पत्थरोंवाला देश होने पर भी कांटों तथा कंकरों वाला देश होते हुए भी - सरल तथा भक्तिवाला देश है । यह देश,
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जिस तरह धर्मप्रचार की भावना रखनेवाले उपदेशकों के लिये उपयोगी है, उसी तरह ऐतिहासिक खोज करने वालों के लिये भी सचमुच ही उपयोगी है। यहां न संघ- सोसायटियों के झगड़े हैं और न पदवियों की प्रतिस्पर्द्धा ही । कोई भी साधु, अपने चारित्र धर्म में स्थिर रह कर, शान्तवृत्ति से उपयोग पूर्वक उपदेश दे, तो वह बहुत कुछ उपकार कर सकता है । उपकार करने के लिये, मेवाड़ अद्वितीय क्षेत्र है । अपने निमित्त ग्राम ग्राम - में क्लेश होने पर भी, घर-घर में आग की
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