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दोनों कर्ण एवं गला भग्न है। यह काल की क्रूरता है या किसी आततायी का कुकत्य है। मन्दिर में कुल प्रतिमायें ५४ विराजमान हैं। प्रवेश-द्वार के भीतर प्रदक्षिणा भमती में दोनों बगल की एक देवकुलिका में श्रीमहावीरप्रभु की श्वेतवर्ण साढ़े चार फुट ऊँची प्रतिमा प्रतिष्ठित है जिसकी प्राणप्रतिष्ठा सं० १९०३ माधवदि ५ शुक्रवार के दिन तपागच्छीय शान्तिसागरसूरिने अहमदावाद में की है। द्वितीय वांये तरफ की देवकुलिका में श्रीमुनिसुव्रतस्वामी की सं० १८९३ की प्रतिष्ठित १३ हाथ ऊंची प्रतिमा स्थापित है । यहाँ चैत्रमुदि १३ को प्रतिवर्ष मेला लगता है जिसमें दूर-दूर के यात्री गण आते हैं। इसकी देखरेख घाणेराव संघ की पेढ़ी करती है। ५ श्रीराणपुर-तीर्थ
पौषकृष्णा प्रथम द्वादशी को हमारे संघ का पड़ाव सादड़ी हुआ । यहाँ के संघने संघ का प्रशं. सनीय स्वागत किया। गोड़वाड़ प्रान्त में सादड़ी . ओसवाल पोरवाल जैनों का केन्द्र माना जाता है
और यहाँ श्वेताम्बर जैनों के १००० घर आबाद हैं। शहर में मूलनायक श्रीपार्श्वनाथ भगवान् का सौध. शिखरी जिनालय ५२ देवकुलिकाओं से शोभित है
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