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पृष्ठसंख्या पङ्किसंख्या 561 27 563 19 566
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अशुद्धम् जुह्वा त श्वास धातादधातु सीमन्तोन्नयन शाखापूर्व न त एकाग्नि वहा रूवास्तो
570 594
शुद्धम् जुह्वा पत श्वासि धाता ददार उपनयन शाखागाह न ते मन्त्रप्रश्ना वहा वास्तो भजी दुरेवाः राम्य देवैः वर्गयोः Hह दशाष्टा
भृजि
597
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0
604
ढरेवाः रम्य देवैः वर्गायोः
ाह
612
दशष्टा
रुद्धो
रुद्धा
618 624
तत्स्थानां
त्यभि
तत्स्थान त्यभिां काल्याणैः द्वयेनयेत
626
631
5555552 202005 06
कंमत्र
632 637 656 661 672 676
शन्ति पञ्चविंश तर्क्सव भिस्तुत्यं द्याविषय लक्ष्ममि गृहकुल केशादि
कल्याणैः द्वयेनैत कमत्र शान्ति पञ्चविंश तत्सर्व भिस्स्तुत्यं द्यविषय लक्ष्मीम गृहे कुले केशवादि
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