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पृष्ठसंख्या पङ्किसंख्या 348 16 3524 353
अशुद्धम् च्छाखयि सहारः प्राणपश्चोत्तराणिम्।
शुद्धम् च्छाखीय संहारः प्राणपश्चोत्तरणिम्
(प्रणवं चंत्तरारविधिर णिम्) गोपायौज
358 16 359 16 36027 365 28
फलं
"
368 29 371 28 376 3765 379 11
, 27 380 381 382 388 14 390 392
विधिरा गोपायोज पलं पास्याशिष्य पदग्राह्य स्तयत्त विशेणा सवर्षों ब्रह्मात्माक श्रुभ्र शालीपप्प षण्णवीत निरूष्य मोदश्च ब्रम ब्रह्मोस रशिः तालुकं युवाकः हवंषि अथर्वशाखीय विश्वपरूम पाट्य पितम् बहुदका
पास्यशिष्य पदग्राह्याना : स्तत्त विशेषणा सर्वेषां ब्रह्मात्मक शुभ्र शालिपिप्प षण्णवति निरूप्य मोदश्व ब्रह्म ब्रह्मोपास राशिः तालु शंयुवाकः हवींषि सामशाखीय विश्वरूप पाठ्य
394
396
402 406
411
र्पितम्
423
बहूदका
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