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हैं । ऐसे सुशिक्षित मनुष्य जिस जातिमें जितने ज्यादा होंगे उतना ही
अपना-अपने राष्ट्रका समाज का या कुटुम्बका भला कर सकेंगे। ___ वर्तमान समयमें देखो जापान जो एशिया के हर्ष का वर्द्धक हो रहा है । उसका कारण आज शिक्षाप्रणाली के सिवाय अन्य क्या माना जा सकता है ? जैसे सूर्य तुम्हारे सामने चक्कर लगाता हुआ दृष्टिगोचर होबा है ठीक उसी प्रकारसे सारा संसार नीचेसे ऊपर ऊपरसे नीचे उदयसे अस्त अस्तसे उदय इन पर्याय धर्मों का वेदन करता चला जा रहा है। ___ संसार का कोई पदार्थ स्थिर नहीं सृष्टि क्रम यह बता रहा है । समय यह कह रहा है कि वह एक न एक दिन नीचे आयेगा, गिरेगा, उसकी जरूर अवनति होगी जो ऊपर गया है, इस विकराल कालकी चालसे बचे हैं तो परमात्मा बचे हैं, बाकी सर्व संसारी जीवोंका चाहे वह इन्द्रसे भी ऊपरके अहामन्द्र क्यों न हों ? एक रास्ता है । ___ संसार और संसारी जीवात्माका ऊपर जाना नीचे आने ही के लिये है । जैसे उन्नति का अन्त अवनति पर ठहरा हुआ है वैसे ही अवनति के बाद अवश्य उन्नति है । ____ इस नियमका उल्लंघन वह कर सकता है जो संसारसे मुक्त होगया है, वरन् संसार उसीका नाम है जो कोई इस नियम का उल्लंघन न कर सकता हो | कवियों की मान्यता है कि जो जल समुद्र से उठकर माप होकर बादल बन कर अहंकार से मत्त हुआ हमारे ऊपर आकाश में घूम रहा है, इतना ही नहीं, बल्कि-गर्जना और तर्जना कर रहा है, कौन नहीं जानता कि वह एक न एक दिन नीचे आवेगा, और वहाँ बायेगा जहां से आया था ।
बस यह संसार ही नहीं किन्तु संसार चक्र मी है । आपने अब इसका मतलब अच्छी तरह समझ लिया होगा, अधिक कहना श्रोताओं की बुदिकी अवज्ञा करना है । कवि कालिदासने लिखा है
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