________________
इस लिये हमारी श्रीसंघसे अंतमें यही विनती है कि जिस तरह जैन धर्म और जैन समजका पूर्व ही की तरह फिर भी अभ्युदय हो आरै महात्मा महावीर देवके जगत कल्याण कर जीवन और वचनसे जगत्का उद्धार हो ऐसा काम कर अपना और जगत्का कल्याण करने में कटिबद्ध होवे ।
।। तथास्तु ।।
Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat
www.umaragyanbhandar.com