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________________ ( १७ ) माता के लाल सारे हो सत्य के पुजारी । बन कर शहीद प्रतिदिन निज नाम को दिपावे ॥ बन कर के साम्यवादी यह दृश्य आज देखू । कोई न क्लेश देवे कोई न क्लेश पावे ॥ उपयोगिता समय की समझ प्रमूल्य निधियां । जीवन का एक क्षण भी मेरा न व्यर्थ जावे ॥ श्रात्मा हो शुद्ध मेरी दर्पण समान मन हो । अपनी बुराइयों की जो आप ही दिखावें ॥ परतन्त्रता के दुख में जब 'राम' हम तडफते । है नाथ तव सुबह में श्रानन्द मेघ छावे ॥ दरश मोहे दीजे दीनदयाल दरश मोहे दीजे दीन दयाल । प्यास दरश की लगी है अनादि बिन दरशन न समीके ॥ १ ॥ दया धर्म प्रभु धर्म बतायो आप यूँही वर लीजे ॥२॥ भवदधि भटकत तट तक आयो अब मोरी बांह ग्रहीजे ॥३॥ प्रान गान कर ध्यान धरत है बके कदर कुछ कीजे ॥४॥ जगत गुरु ऋषभदेव हितकारी जगत गुरु ऋषभदेव हितकारी । प्रथम तीर्थकर प्रथम नरेश्वर प्रथम वाल देव नहीं ऐसा जो कोऊ जासे हो Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat ब्रह्मचारी | दिलचारी ॥ www.umaragyanbhandar.com
SR No.034946
Book TitleMahatma Jati ka Sankshipta Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUnknown
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages120
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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