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ठेर जावो खजांनचीजीको आने दो घंटा दो घंटा हो गया जब महिपाल बोला कि भाइ क्या तुम नहि समजते हो कि " डाकणीयोके विवहामें नेतीयारोके भक्षण होते है तो यहां मजुरीकी आशाही क्यों करते हो चालीये बजारमे दुसरी मजुरी करेंगे." यह विचारके च्यारो चलने लगे तो दरवाजे वालोने रोक दीया कि तुमको जानेका हुकम नही है उस समय उनोको बहुत दुःख हुवा और जोर जोरसे पुकार करने लगे कि गरीबोके लिये एसा अन्याय क्यों हो रहा है एक तो हमारी मजुरीका पता नही दुसरा और भी हमारे लिये रोकावट करदो गइ है हम दरबारके नमाइजीको दयालु समजते है तो हम गरीब मजुरोके लिये एसा अन्याय क्यों होना चाहिये. इत्यादि उस पुकारको कुंवर साहिब सुनि. और बोले कि यह पुकार कोन करता है नोकरोने कहा कि वह दांणा लाने वाले मजुर है। कुंवरजीने हुकम दीया कि नावों उन सबको स्नान मजन करवाके मेरे चोकामें जीमाके मेरे पास ले आना यह सुनते ही नोकर गये उन च्वारोकी हजामत वगरह स्नान मंजन करवा कुंवरजीके चोकेमे उम्मदा भोजन करवाये च्यारे भाइयोने सोचा कि खेर मजुरी न मोल तो कुछ हरजा नही किन्तु दीर्घ कालसे क्षुधाके मारे पडे हुवे पेटके सल तो आज ठीक निकल गया है दुसरे भाइने कहा कि बार हा वर्षों से आज अपने घरकि माफीक भोजन मीला है दो भाइयोने दीलगीरी बतलाइ खेर वह भोजन करवाके चारो भाइयोको कुंवरजीके पास ले आये. कुंवरजीने पुछा कि तुम कोन हो कीस ग्राममें रहते हो वह पुछते ही चारे भाइयोके दीलमें दुःखके दरियावोंकि पाजो तुटके रूदन पाणी चलना सरू हो गया इतना कि एक घंटे भर वह बोल नही सका । कुंवरजीने कहा कि हे महानुभावों । दुःख सुख दुनियोमें हुवा ही करते है तुम गवरावो मत तुमारे दुःखकि वाते हमे कहोमें यथाशक्ति तुमारी सहायता करुंगा इसपर विश्वास Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat
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