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________________ 191 आपकी और आचार्यजी महाराज की तबियत कैसी है ? मैं आपके जवाब की वाट जोहकर आपको शुक्र करता और नमसकरता हुं। डॉक्टर परटोल्ड आचार्यजी महाराज को मुझसे सलाम और मेरा नमसकार बोलियो। (४) 56/58, Walkeshwar Road, Malabar Hill, Bombay. १७ सप्तमबर १९२१ श्रीयुत उपाध्याय महाशय । आपका अंग्रेजी पत्र और मेरे लेक्चर का मराथी उलथा कल मीला। आप मुससे पूच्छते हैं। किस कारण से मैंने किसू पत्रका कुछ जवाब नहीं दिया। लेकिन दूसरा पत्र मेरे रजिसटरड लेक्चर के साथ पत्र के बाद आपसे नहीं मिला। और मैंने आर्य किया। किस कारण से आपने यह पत्र मिलनेके लिये कुछ नहीं लिखा। श्री आचार्य महाराजका और आपका फोटो चित्र बहुत अच्छे हैं। और मैं आज आपको दो भेज देता हुं । अभि बहुत वर्षे के वास्ते फोटो बनाना बहुत कठिन है। इस कारण से कि पाणी मेरे दूसरे कमरे में घुसता है। इस कारण से मैं थोडा थोडा काम कर साकता हुं । जब वर्षा ठहरेगा तब मैं और फोटो बनाउंगा । और आपको और दुसरे धूलिथे में मनुष्योंको फोटो भेजदूंगा । सूखे समय में मैं और बड़ा फोटो (Enlargements) करूंगा और आपको भेजदूंगा। कैसा आचार्य महाराज को मेरे साथ कोटो है? वह अच्छा है । एक ऐसा और ये दो पुस्तकें मुझे भेज दीजिये । Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034934
Book TitleLetters to Vijayendrasuri
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKashinath Sarak
PublisherYashodharma Mandir
Publication Year1960
Total Pages326
LanguageEnglish
ClassificationBook_English
File Size37 MB
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