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( २३ ) दक्षिण दिशा को सीधी यात्रा न तो हुई है न होना ही सम्भव
अब पदि हम समतल भूमि पर एक गधे को खूटे से बांध देते हैं और वह उसके चारों ओर पड़ी हुई घास को खाता है तो वह.एक थालो के पास-पास फिरता ही इस प्रकार गोल-गोल घूमता है किन्तु गोले के आस पास घूमता तो ऐसा नहीं लगता एरोप्लेन से जहाज के ......."पर से अथवा गधा जहां खड़ा हो उसे स्थान से कहीं से भी देखा जाय तो चक्राकार गोला दिखाई देगा। इससे यह प्रमाणित होगा है कि पृथ्वो गोला नहीं है ।
आधुनिक विज्ञानवादो इस बात पर भी-अधिक बल देते हैं कि-लोगों ने पृथ्वी के आस-पास चारों ओर जहाज द्वारा यात्रा की है। अतः पृथ्वी का प्राकार गोल होना चाहिए किन्तु इससे तो यह ज्ञान होता है कि यदि काई वस्तु गोलाकार न हो, तो उसके आस पास हम यात्रा ही नहीं कर सकते। वरन ऐसा नहीं है क्योंकि यह प्रसिद्ध है कि चपटा पृथ्वो के आस-पास भी जहाज द्वारा यात्रा की गई है।
यह भी पृथ्वा के गालाकार होने में बाधक हैं । एक तर्क यह भी दिया जाता है कि
पानो अथवा समुद्र में एक-एक मील की दूरी पर एक समान आकारवाली तान लकड़ियाँ इस रूप में खड़ी की की जांय कि प्रत्येक का एकसा भाग पानी में डूबा हुआ हो, और शेष भाग भी एकसा हो पानी के बाहर निकला हुआ हो तथा वे तीनों लकड़ियाँ एकसी सीधी पंक्ति में हों। "
तब जो पहली लकड़ी ऊपरी सिरे से देखेंगे तो पहली
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