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[ अगर हर एक आदमी इस आयत पर सच्चा यकीन रक्खे तो वह छुपकर भी पाप न कर सके। जो छुपकर भी पाप नहीं करता अल्लाह पर उसीका सच्चा यकीन मानना चाहिये। ]
२-अल्लाह किसी इतराने वाले शेखीबाज़ को पसन्द नहीं करता।
६१--सूरे सफ्फ़ १--मुसलमानो, एसी बात क्यों कह बैठा करते हो जो तुम करके नहीं दिखाते । (यह बात) अल्लाह को सख्त नापसन्द हैं।
६७-सरे मुल्क १- तुम अपनी बात चुपके से कहो या पुकार कर कहो, खुदा तो दिल की बातों से वाकिफ है।
८८-सूरे गाशियह १.(ऐ पैगम्बर, तुम लोगों को समझाओ, तुम तो [खाली ] समझाने वाले है। और इस। तुम उनपर कुछ दारोगा की तरह तैनात नहीं हो।
[इसस मालूम होता है इसलाम धर्म प्रचार में जोर जबर्दस्ती नहीं कराता । हजरत महम्मद साहब को भी खुश ने जबर्दस्ती करने का हक नहीं दिया फिर दूसरा को तो मिल ही कैमे सकता है । रसूलल्लाह ने इसराम का प्रचार समझाकर ही किया था । जो लोग यह कहते हैं कि हज़रत मुहम्मद साहब ने इसलाम का प्रचार तलवार के जोर से किया है उन्हें यह आयत पढ़कर अपनी भूल सुधार लेना चाहिये।
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