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________________ (२४) बटाने के लिये बुलाये तो उसका जरासा भी बोझ नहीं बटाया जायगा अगर्चे वह रिश्तेदार ही क्यों न हो। अपने अपने पाप का फल अपने को ही भोगना पड़ता है सभी मजहबों का यह उसूल इसलाम में भी है ] २--कोई कौम ऐसी नहीं कि उसमें कोई पैगम्बर न हुआ हो। __ ३६ सूरे यासनि १--तुम ऐसे लोगों को [पाप से ] डराओ जिनके बाप [दाद ] नहीं डसये गये और (यही सबब है कि) वे गाफिल हैं । १०--सरे मोमिन १-हमने तुन से पहिले रसूल भेजे, उनमें कुछ ऐसे हैं जिनके लात हमने तुमको सनाये और उनमें से कुछ ऐसे हैं जिनके हालात हमने तुमको नहीं सुनाये। [सभी रसूलों को मानना मुसलमानों का फर्ज है यह बात पहिले कही गई है पर सभी रसूलों का यह मतलब नहीं है कि जिसके नाम कुरान में आये हैं वे ही मान जायें । नाम आया हो या न आया हो सभी खुदाके रसूल हैं इसलिये सभी को मानना चाहिये । इस आयत के मुताबिक मुसलमान दुनिया के किसी भी मज़हब का विरोध नहीं कर सकता, "हां पाप कहीं भी हो उसका विरोध करेगा ] ४१ सरे हामीस सज्दह १- नेकी और बदी बराबर नहीं हो सकती, दुई के बदले में नेकी करो तो तुम देखोगे कि जो शख्स तुम्भरा दुश्मन का वह Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034928
Book TitleKuran ki Zaki
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSwami Satyabhakta
PublisherSwami Satyabhakta
Publication Year
Total Pages32
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size5 MB
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