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________________ (२२) जायगे कि हम ईमान ले आये ! और उनको आज़माया छूट न जायगा ! [ अपने को मुसलमान कहने से कोई मुसलमान नहीं हो जाता उसके लिये नेकी और ईमानदारीकी परीक्षा में पास होना ज़रूरी है । २- क्या जो बुरे अमल करते है उनने समझ रखा है कि हमारे काबू से बाहर हो जायेंगे ! ३ - हमने इन्सान को अपने माँ बाप के साथ अच्छा सलूक करने का हुक्म दिया । ४- तुम किताब वालों के साथ झगड़ा ( वादविवाद ) न किया करो । • बहाना करते थे कि [ जिनके पास नीति सदाचार ( अख़लाक़ ) सिखाने वाली कोई किताब नहीं है उन्हें सच्चाई और नेकी के रास्तेपर ले आना इसलाम का मकसद है इसीलिये जो किसी मजहब को मानते हैं जिसके पास कोई धर्म पुस्तक है इसलाम उन के साथ दोस्ताना बर्ताव रखना चाहता है । अरब के लोगों के पास कोई मज़हबी किताब नहीं थी इसलिये अरब के लोग यह हमारे पास कोई किताब ही नहीं है हम नीति सदाचार ( नेकी) पर अमल कैसे करें (देखो सूरत साफ्फात ) अरब वालों की इस कठिनाई को दूर करने के लिए कुरान आया, किसी धर्म वालों के झगड़ने के लिये नहीं । दूसरे धर्मवालों के साथ इसका कैसा दोस्ताना और बराबरी का व्यवहार रखना चाहता है यह बात आग की आयतं से भी बड़ी आछी तरह मालूम होती हैं ।] Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat · www.umaragyanbhandar.com
SR No.034928
Book TitleKuran ki Zaki
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSwami Satyabhakta
PublisherSwami Satyabhakta
Publication Year
Total Pages32
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size5 MB
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