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________________ (१७) १५ कोटराजी तीर्थ के मेले_यहाँ के श्रीसंघने इस तीर्थ की समुन्नति के लिये प्रतिवर्ष दो मेले कायम किये हैं, जो संवत् १९७० की कार्तिक पूर्णिमा से बराबर चालु हैं । प्रथम मेला कार्तिक सुद १५ और द्वितीय मेला चैत्र सुदि १५ का भराता है। प्रतिमेला में ३००० से १०,००० हजार यात्री तक एकत्रित होते हैं । हरएक मेला पर वीस रोज पहिले मेला निमंत्रणने वाले सद्गृहस्थों के तरफ से छपी हुई आमंत्रण-पत्रिकाएँ देश परदेश में सर्वत्र भेजी जाती हैं । आमंत्रणपत्रिकाओं की नकल नीचे लिखे अनुसार है श्रीहनमः । श्रीकोरटाजी तीर्थ का मेला निमित्ते श्रीसंघ-आमंत्रणपत्रिका । श्रीसिद्धार्थमहीपसूनुतनयात्खाश्वाङ्किते वत्सरे, यद्रत्नप्रभसूरितः कुवलये ख्याति परामीयुषि। राजेते भुवनाधिपो जिनवरौ वीरर्षभौ यत्र तत्, श्रीकोरंटकतीर्थमत्र जयतात्मोदभूतमाहात्म्य युक॥ Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034926
Book TitleKortaji Tirth ka Itihas Sachitra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorYatindravijay
PublisherSankalchand Kisnaji
Publication Year1930
Total Pages138
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size20 MB
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