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७ श्रीविजयराजेन्द्रसूरीश्वरजी महाराज।
आप मारवाड देश के प्राचीनतीर्थ सोनागिर, श्रीभाँडवपुर और कोरटाजी; इन तीनों तीर्थ स्थानों के प्रथमोद्धारक और उनमें होती हुई तीर्थ सम्बन्धीआशातनाओं को मिटा कर उन्हें समुन्नत बनानेवाले हैं। __ आप आपने निजोपदेशों से जनोपकार, कारक अनेक प्रतिष्ठाञ्जनशलाका कारक, संस्कृत प्राकृत तथा भाषा में अन्दाजन समयोपयोगी पचास ग्रन्थ-रत्नों के लेखक, सनातन शुद्ध त्रिस्तुतिक-मार्ग के पुनरुद्धारक, और अढी सौ वर्ष से जाति बहिष्कृत चीरोला गाँव के जैनों को जाति में शामिल करा देनेवाले प्रभावक जैनाचार्य हैं।
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