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( ७८ ) निःसन्देह सत्य समझना चाहिये। सेठने कहास्वामिन् ! महरबानी करके आप साथ में पधारो सो उस प्रतिमा को बाहर निकाली जाय ? आचार्य ने कहा-सेठ ! यद्यपि प्रतिमा पूर्ण हो चुकी है तथापि शरदऋतु के सात दिन गये बाद अच्छे मुहूर्त में उसको निकाल कर लाना ठीक है । सेठने कहा-आपका फरमाना शिरोधार्य है, परन्तु आप पूज्य, समर्थ और आचार्य हैं, अतएव आपका वचन और आदेश ही शुभ मुहर्त है। इसलिये शीघ्र ही मेरी प्रार्थना को ध्यान में लेकर कार्यरूप में परिणत करना चाहिये। यह बात सुन कर आचार्य महाराज जहाँ पर भगवान् महावीर की प्रतिमा थी, वहाँ पर सेठ के साथ गये। आचार्य के फरमाने मुताबिक सेठने स्वर्णयव से स्वस्तिक कर और पुष्पों से पूजा कर, उस स्थान की जमीन को खोद कर सर्वावयव पूर्ण महावीर प्रतिमा को बाहर निकाली। बाद में सेठ सन्मान पूर्वक उस प्रतिमा
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