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८-आचार्य शीलगुणसूरिने वनरोज चावड़ा गुर्जरनरेश को
जैन बनाया। ९-उपकेशगच्छीय जम्बुनाग गुरुने लोवापट्टन में ब्राह्मणों को
पराजित कर वहाँ के भूपति पर प्रचण्ड प्रभाव डाल
जैनधर्म की उन्नति की । और अनेक मदिर बनाये । १०-उपकेशगच्छीय शान्तिमुनिने त्रिभुवनगढ़ के भूपति को
जैन बनाया उनके किल्ला में जैन मंदिर की प्रतिष्ठा की। ११-उपकेशगच्छीय कृष्णर्षिने सपादलक्ष प्रान्त में अजैनों को
जैन बना कर धर्म का प्रचार बढ़ाया । १२-अंचलगच्छीय जयसिंहसरिने भी कई जैनेतरों को
जैन बनाये। १३-उदयप्रभसूरिने हजारों अजनों को जैन बनाये । १४-तपागच्छीय सोमतिलकसूरि, धमघोषसूरि, आदि महा
प्रभाविक हुए और कइ नये जैन बनाये। १५-संडारागच्छीय यशोभद्रसूरिने नारदपुरी के राव दूधा
को जैन बनाया । १६-कलिकालसर्वज्ञ भगवान् हेमचन्द्राचार्यने राजा कुमार
पाल को जैन बनाकर १८ देशों में जैन धर्म का झण्डा
फहराया और हजारो जैन मंदिरोकी प्रतिष्ठा करवाई। १७-आचार्य वादीदेवसूरिने ८४ बाद जीतकर जैन धर्म की
पताका फहराई । १८-द्रोणाचार्य के पास अभयदेवसूरिने अपनी टीकाओं
का संशोधन करवाया ।
यदि इस भाँति क्रमशः लिखे जायँ तो खरतरातिरिक्त गच्छाचार्यो के हजारों नंबर आ सकते हैं तो क्या किसी
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