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विधान से ? जैन विधि से या पोरों की विधि से ? । उस साधना में बलि बाकुल किस पदार्थ का किस विधि से दिया ? | भला, पांच पीरों को साध कर जिनदत्तसूरिने क्या किया ? | क्या किसी मुसलमान को भारत पर आक्रमण करते को रोकाया मन्दिर - मूर्त्तियें तोडते को वहां से भगाया ? | मेरे ख्याल से जिनदत्तसूरिने इन में से तो कुछ नहीं किया । हाँ, शायद उस समय जिनदत्तसूरि और जिनशेखरसूरि इन दोनों गुरुभाईयों में पारस्परिक द्वन्द्वता चल रही थी इस कारण किसी जैन या हिन्दू देवताने तो जिनदत्तसूरि की सहायता न को हो आर इस से उन यवन पीरों की साधना की हो तो बात दूसरी है; पर खरतरों को चाहिये कि वे दो बातों के प्रमाण बतलावें। एक तो यह बात किस प्राचीन शास्त्र में लिखी है कि जिनदत्तसूरिने पांच पीरों की साधना की, और दूसरा उन पांच पीरों से उन्होंने क्या अभीष्ट सिद्धि की थी ? यदि जिनशेखरसूरि के लिए ही पीरों कों साधन किया हो तो उस समय जिनशेखरसूरि
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का समुदाय विद्यमान ही था ? | पोरोंद्वारा उनकों क्या
नसयत दी ?
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दीवार नंबर ११
कई खरतर कहते हैं कि जिनदत्तसूरिने " स्त्रियें को जिनपूजा करनेका निषेध किया है " इसलिए खरतरगच्छ में आजतक स्त्रियाँ पूजा नहीं करती हैं । यदि कोइ तीर्थयात्रा वगैरह में अन्य गच्छीयी की देखादेखी पूजा करती भी हैं वे दादाजी की आज्ञा का भंग करती हैं । इत्यादि,
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