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________________ कणयामरविरहयउ [ 3. 14.7के वि रोमंचकंचेण संजुत्तया के वि सण्णाहसंवद्धसंगत्तया। के वि संगामभूमीरसे रत्तया सग्गिणीछंदमग्गेण संपत्तया। घत्ता-चंपाहिउ णिग्गउ पुरवरहो हरिकरिरहवरपरियारउ । उदंडचडपीवरकरहिं भणु केहि ण 'केहिं ण अणुसरिउ ॥ १४॥ 10 15 5 Fight begins. ता हयई तूराई भुवणयलपूराई। वजति वजाई सजंति सेण्णाई। आणाए घडियाई परबलई मिडियाई। कुंताई भजंति कुंजरई गति । रहसेण वग्गंति करिदसणे लग्गंति । गत्ताई तुझंति मुंडाई फुर्हति । रुंडाई धावंति अरिथाणु पावंति। अंताई गुप्पंति रुहिरेण थिप्पंति। हड्डाई मोडंति गीवाइं तोडंति। घत्ता-के वि भग्गा कायर जे वि णर के वि भिडिया के वि पुणु। खग्गुग्गामिय के विभड मंडेविणु थका के वि रणु ॥ १५ ॥ 10 Karakanda requisitions the Vidya. ता रोसे चंपाहिउ गरिंदु रहे चडिवि पधायउ णं सुरिंदु। सो तुरिउ गयउ परबलणिवासु अभिडियउ करकंडहो णिवासु । ता कलयलु वडिउ विहिं बलाह बाणावलिछाइयणहयलाहं । करकंडे कोहाणलजुएण अइरावइकरदीहरभुएण। ता तुरियई चंपणराहिवासु सहसत्ति पमेल्लिय सत्ति तासु। रहु छिण्णिउ चिण्हद्धउ खणेण पुणु सारहि पाडिउ तुरिउ तेण । 14. १ SD केहें. 15. १ Jomits कुंजरई गर्जति. २ J कि वि. 16. १ S चंपाहिव. २ N अन्भडियउ. 5 - ३० Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034918
Book TitleKarkanda Chariu
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKankamar Muni
PublisherKaranja Jain Publication
Publication Year1934
Total Pages364
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size33 MB
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